आज राम नवमी के दिन करें ये उपाय, मिलेगी खुशहाल जीवन
हिंदू धर्म में मान्यता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवां अवतार लिया था। तब से इस तिथि को राम भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवां अवतार लिया था। तब से इस तिथि को राम भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पृथ्वी पर सत्य सनातन धर्म की रक्षा के लिए जन्म लेने वाले प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव से जुड़ा ये पावन पर्व इस साल 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस साल 09 अप्रैल की देर रात 01 बजकर 23 मिनट से नवमी तिथि प्रारंभ हो चुकी है। राम नवमी के अवसर पर देशभर के राम मंदिरों में प्रभु श्रीराम की पूजा अर्चना की जाएगी और राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके अलावा मान्यता है कि राम नवमी के अवसर पर आप कुछ आसान उपायों से अपने जीवन को खुशहाल और सुखी बना सकते हैं। तो चलिए आज जानते हैं राम नवमी के इन उपायों के बारे में....
इस साल नवमी तिथि का आरंभ 10 अप्रैल की रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से हो रहा है, जो 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक है। इसका शुभ मुहूर्त दिन में सुबह 11 बजकर 06 मिनट पर शुरु हो रहा है, जो दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है। इस मुहूर्त में रामलला का जन्म होगा और मंदिरों में राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
राम नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में प्रभु श्रीराम की पूजा करें। पूजा के दौरान दौरान ''श्री राम चंद्र कृपालु भजमन....'' आरती जरूर पढ़ें। ऐसा करने से व्यक्ति के दुख और कष्ट दूर होते हैं।
राम और उनके परमभक्त हनुमान जी की गुणगान वाले हनुमान चालीसा का संपूर्ण पाठ करें। इससे जातक पर श्रीराम और हनुमान जी की कृपा बनी रहती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
इसके अलावा यदि आप किसी संकट में घिरे हैं और उससे बचना चाहते हैं, तो राम नवमी के दिन राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि इससे प्रभु श्रीराम आपकी रक्षा करेंगे और आपका कल्याण होगा।
धार्मिक मान्यता है कि राम नाम में बहुत ही ज्यादा शक्ति होती है। राम नवमी के दिन भगवान श्रीराम के पूजन के समय राम नाम का जप जरूर करें। इससे जीवन में सुख एवं खुशहाली आएगी।
मान्यता है कि राम नवमी के दिन रामायण या रामचरितमानस का पाठ करना या कराना अत्यंत ही शुभ होता है। इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों के सारे दुख दूर होते हैं।