हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं वही बुधवार का दिन गौरी पुत्र गणेश की आराधना व पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं। इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि इस दिन अगर सच्चे मन से श्री गणेश की आराधना की जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं।
ऐसे में हर कोई आज के दिन प्रभु की आराधना करता हैं अगर आप भी श्री गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो बुधवार के दिन पूजा पाठ और व्रत के अलावा संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें मान्यता है कि इस पाठ को करने से व्यवसाय में वृद्धि होती हैं और आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिलता हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं संकट नाशन गणेश स्तोत्र पाठ।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र—
॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥