ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि शिव साधना को समर्पित होता है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह का प्रदोष व्रत 21 अप्रैल दिन रविवार को किया जाएगा। रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण ही इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा पाठ के दौरान ही अगर शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शिव प्रदोष स्तोत्र पाठ।
यहां पढ़ें शिव प्रदोष स्तोत्र—
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत । जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।
जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।
महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।
ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।
दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।
दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।
ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।
शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।
दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।
एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।
शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।