पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए करें ये उपाय

Update: 2023-06-26 13:48 GMT
भारत में जब किसी बड़े की मृत्यु हो जाती है तो उनकी आत्मा की शांति के लिए सभी कार्य किये जाते हैं। लेकिन किन्हीं कारणों से उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती जिसकी वजह से घर में पितृदोष की समस्या उत्पन्न होती हैं और घर में कई परेशानियां आने लगती हैं। इन परेशानियों से बचने के लिए पितृदोष को समाप्त करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताये गए हैं, जिनको अपनाकर पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाई जा सकती हैं। तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।
* सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान ,सर्प पूजा ,ब्राह्मण को गौ -दान ,कन्या -दान,कुआं ,बावड़ी ,तालाब आदि बनवाना ,मंदिर प्रांगण में पीपल ,बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना ,प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए।
* पितर आदर सम्मान चाहते है। किसी भी शुभ कार्य, मांगलिक कार्य, पूजा पाठ में हमें उनको जरुर याद करना चाहिए। उन्हें पूर्ण सम्मान और श्रद्दा भाव से पूजना चाहिए।
* भगवान विष्णु की पूजा करने से भी पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। माना जाता है कि मरने के बाद सभी आत्माएं परम-शक्ति यानी भगवान विष्षु में विलीन हो जाती हैं और आत्मा-परमात्मा के इसी मिलन को मुक्ति कहा जाता है।
* अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है और उसे अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करना चाहिए। वे भले ही अपने जीवन में कितना ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन उसे अश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
* अगर पीड़ित व्यक्ति किसी गरीब कन्या के विवाह की जिम्मेदारी लेता है तो उस पर पड़ने वाला पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है इसके साथ ही उसे भगवान तथा अपने पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
* अमावस्या के दिन स्टील के लोटे में कच्चा दूध, दो लौंग, दो बतासे, डाब, काले तील लेकर संध्या के समय पीपल के पेड़ पर चढ़ा दे फिर एक जनेऊ चढ़ाये। इससे पितृ देव खुश होते है।
* दों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र ,स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है अगर नित्य पठन संभवना हो , तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए। वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।
* बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और फिर सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है।
* अपने भोजन की थाली में से प्रतिदिन गाय और कुत्ते के लिए भोजन अवश्य निकालें और अपने कुलदेवी या देवता की पूजा अवश्य करते रहें। रविवार के दिन विशेषतौर पर गाय को गुड़ खिलाएं और जब स्वयं घर से बाहर निकलें तो गुड़ खाकर ही निकलें। संभव हो तो घर में भागवत का पाठ करवाएं।
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