Religion Spirituality:मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर करें राधा रानी की विशेष पूजा,

Update: 2024-06-23 09:18 GMT
Religion Spirituality: मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन का व्रत करने से संतान संबंधी सभी कठिनाइयों का अंत होता है। इसके साथ ही जीवनLife में शुभता आती है। यह पर्व (मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2024) हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस माह यह 28 जून 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा होती है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन का व्रत करने से संतान से संबंधित सभी कठिनाइयों का अंत होता है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। यह पर्व (मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2024) हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस माह, 28 जून, 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस अवसर पर जो लोग भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें राधा रानी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ ही राधा चालीसा का पाठ सर्व करना चाहिए। श्री राधे वृषभानुजा,भक्तनि प्राणाधार वृन्दाविपिन विहारिणी,प्रणवौ बरम्बर ॥जैसो तैसो रावरौ,कृष्ण प्रिया सुखधाम ।चरण शरण निज दीजिये,सुन्दर सुखद ललाम ॥जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।नन्दिनी सुभा धाम ॥नित्य विहारिणी श्याम आधार । अमित बोध मंगल दातार ॥रस विहारिणी रस विस्तारिन । सहचरी सुभाग उत्तम भावनी ॥
नित्य किशोरी राधा गोरी ।श्याम प्राण धन अति जिया भोरी ॥करुणा सागरी Sagariहिय उमंगिनी । ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥दिनकर कन्या कूल विहारिणी । कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें । श्री राधा राधा कहि हर्षवाहीं ॥मुरली में नित नाम उचारें । तुम कारण लीला वपु धरें ॥प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी । श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥नावला किशोरी अति चाबी धाम । द्युति लघु लाग कोटि रति काम ॥गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥जावक यूथ पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ॥सन्ताता सहचरी सेवा करहीं । महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥रसिकन जीवन प्राण आधार । राधा नाम सकल सुख सारा ॥अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥उपजेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥नित्य धाम गोलोक बिहारीनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पर न पायं शेष अरु शरद ॥राधा शुभ गुण रूपा उजारी । निरखिख़ा हॉट बनवारी ॥ब्रज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥प्रीतम संग दिए गल बहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥राधा कृष्ण कृष्ण है राधा । एक रूप दाऊ -प्रीति अगाधा ॥श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दर्श करण हित गोकुल चंदा ॥रस केलि कर यथार्थ उद्धार । मन करो जब अति दुःख पावें ॥प्रफुल्लित होठ दरश जब पावें । विविध पर नित विनय सुनावें ॥वृन्दरन्य विहारिन्नी श्याम । नाम लेथ पूरन सब काम ॥कोटिन यज्ञ तप करुहु । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥तू न श्याम भक्तही अपनावें । जब लागी नाम न राधा गावें वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपुतुवा अमित अगाध ॥स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा । और तुझ को जननी हारा ॥श्रीराधा रस प्रीति अभेद । सदा गान करत नित वेदा ॥राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते स्वप्नहूँ जग जलधि न तरिहैं ॥कीरति कुमारी लाडली राधा । सुमिरत सकल मिथिं भाव बड़ा ॥नाम अमंगल मूल नासवानी ।तप हर हरी मन भवानी ॥राधा नाम ले जो कोई । सहजहि दामोदर वश होई ॥राधा नाम परम सुखदाय । सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥यदुपति नंदन पीछे फिरिहैं । जो कौ राधा नाम सुमिरिहैं ॥रस विहारिणी श्यामा प्यारी । करुहु कृपा बरसाने वारि ॥वृन्दावन है शरण तेरे । जय जय जय वृषभानु दुलारी ॥
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