इन शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश पूजन, चौघड़िया मुहर्त, पूजा विधि, सामग्री

दीपावली या दिवाली का त्योहार 4 नवंबर को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में दिवाली उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है

Update: 2021-11-04 02:34 GMT

दीपावली या दिवाली का त्योहार 4 नवंबर को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में दिवाली उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली की शाम को माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, धन के देवता कुबेर और मां काली की पूजा होती है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी। कहते हैं कि दिवाली की रात पृथ्वी पर भम्रण करती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

दिवाली लक्ष्मी पूजन का महत्व-
दिवाली के त्योहार में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि दिवाली की रात को माता लक्ष्मी सभी पर कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे पृथ्वी पर आती हैं और सभी के घरों में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, रोशनी और विधि-विधान से देवी-देवताओं का पूजन होता है, वहां वास करने लगती हैं। मान्यता है ऐसे घरों में धन का अभाव नहीं होता है।
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प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का पूजन
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीम मुहूर्त को कहा जाता है। शास्त्रों में इस समय को लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन का महत्व होता है।
दिवाली पूजन सामग्री लिस्ट-
मां लक्ष्मी की प्रतिमा (कमल के पुष्प पर बैठी हुईं), गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा (गणपति जी की सूंड बांयी ओर होनी चाहिए), कमल का फूल, गुलाब का फूल, पान के पत्ते, रोली, सिंदूर, केसर, अक्षत (साबुत चावल), पूजा की सुपारी, फल, फूल मिष्ठान, दूध, दही, शहद, इत्र, गंगाजल, कलावा, धान का लावा(खील) बताशे, लक्ष्मी जी के समक्ष जलाने के लिए पीतल का दीपक, मिट्टी के दीपक, तेल, शुद्ध घी और रुई की बत्तियां, तांबे या पीतल का कलश, एक पानी वाला नारियल, चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के, साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए, चौकी और पूजा के लिए थाली।
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मां लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि-
सबसे पहले पूजा का संकल्प लें।
श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें।
इसके बाद देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें।
ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें।
एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।
श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें।
देवी सूक्तम का पाठ करें।
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दिवाली 2021 लक्ष्मी-गणेश पूजन मुहूर्त-
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त- 06:10 PM से लेकर 08:06 PM तक
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – 05:35 PM से 08: 10 PM तक
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – 11:38 PM से 12:30 AM तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 04, 2021 को 06:03 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
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लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:11 PM से 05:34 PM
शाम का मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM
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