इस​ विधि से करें देवशयनी एकादशी का व्रत

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी कहा जाता है

Update: 2022-07-08 10:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी कहा जाता है जो कि इस बार 10 जुलाई को है. कहा जाता है देवशयनी एकादशी के दिन सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु (Devshayani Ekadashi Pujan Vidhi) चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास की शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में चातुर्मास के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. लेकिन इस दौरान पूजा-पाठ और अराधना का विशेष महत्व है.

देवशयनी एकादशी के दिन जातक भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी करते हैं. लेकिन एकादशी का व्रत करते समय आपको कुछ बातों व नियमों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत की पूजन विधि.
इस​ विधि से करें देवशयनी एकादशी का व्रत
देवशयनी एकादशी के दिन विधि-विधान से व्रत व पूजन किया जाता है. अगर आप भी इस दिन व्रत करने वाले हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें. ध्यान रखें कि हाथ में जल, अक्षत और फूल को लेकर संकल्प लिया जाता है. इसके बाद मंदिर की सफाई कर उसमें भगवावन विष्णु की शयन मुद्रा वाली मूर्ति स्थापित करें. 
एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता पार्वती का पूजन किया जाता है. पूजन के दौरान पीले रंंग के वस्त्र धारण करें. इसके बाद पीले फूल, फल, चंदन, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी, तुलसी के पत्ते और पंचामृत भगवान विष्णु को ​अर्पित करें. इस दौरान 'ओम भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जान करते रहें. पूजन के बाद एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और आरती के साथ पूजा का समापन करें.
देवशयनी एकादशी के दिन फलाहार के साथ व्रत किया जाता है और रात में भी अन्न ग्रहण नहीं करते. व्रत का पारण अगले दिन सुबह तुलसी का पूजन के बाद ही होता है. एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो रात्रि के समय जागरण करना चाहिए और अगली सु​बह स्नान के बाद ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान दें.
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