Devshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी व्रत से होगी सभी समस्या दूर, जानें कथा और शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है.

Update: 2021-07-19 10:43 GMT

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है. एकादशी का व्रत एकादशी तिथि को रखा जाता है. हर माह में दो बार एकादशी तिथि आती है. इस प्रकार साल भर में कुल 24 एकादशी आती है. इन सभी एकादशियों के नाम व महत्व अलग-अलग हैं. जो एकादशी तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में होती है उस एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यानी आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी व्रत रखने से समस्त व्याधियां दूर होने के साथ-साथ सभी प्रकार की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

देवशयनी एकादशी का महत्व: शास्त्रों की मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए पाताल लोक में निद्रा पर चले जाते हैं. इसलिए इस दिन से लेकर अगले चार माह तक कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं में देवशयनी एकादशी व्रत सबसे श्रेष्ठ एकादशी मानी जाती है. इस व्रत से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है. सभी व्याधियां दूर होती हैं.
देवशयनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा मांधाता अपनी प्रजा हित के कार्यों के लिए तीनों लोकों में प्रख्यात था. एक बार राज्य में भयंकर अकाल पड़ने से प्रजा की परिस्थिति बेहद नाजुक हो गई. अपनी प्रजा की परेशानी दूर करने के निमित्ति राजा मांधाता ने ऋषि अंगिरा से मिलकर अपनी समस्या सुनाई और इसका समाधान मांगा. इस पर ऋषि अंगिरा ने विधि पूर्वक देवशयनी एकादशी व्रत रखने की बात कही और इअसका महत्व बताया. ऋषि अंगिरा की बात मान कर राजा मांधाता ने यह व्रत किया जिसके फल स्वरूप उनके राज्य में वर्षा होने लगी और प्रजा अकाल से बच गई. यह व्रत करने वाले जातकों के सभी पाप दूर होते हैं और अनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
देवशयनी एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ – 19 जुलाई 2021 को रात 09:59 बजे से.
एकादशी तिथि समाप्त – 20 जुलाई 2021 को शाम 07:17 बजे तक.
एकादशी व्रत पारण- 21 जुलाई 2021 को सुबह 05:36 से 08:21 बजे तक


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