हंगेश्वरी मंदिर
हंगेश्वरी मंदिर को हंसेश्वरी मंदिर भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में स्थित यह मंदिर भी मां काली को ही समर्पित है। यह मंदिर 19 सदी की वास्तुकला को दर्शाता हुआ बनाया गया है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह तंत्र मंत्र विद्या के सिद्धांतों के आधार पर बना है और यहां नवरात्र के दिनों में साधु संत तंत्र साधना करते हैं। मंदिर के हर खंबे को ऊपरी भाग में कमल के समान आकृति प्रदान की गई है। वहीं मंदिर के अंदर की कलाकृतियां मनुष्य के जीवन के विभिन्न पड़ावों को दर्शाती हैं। हंगेश्वरी मंदिर पश्चिम बंगाल के बंशबेरिया में स्थित है।
बहुलारा सिद्धेश्वरा मंदिर
बहुलारा सिद्धेश्वरा मंदिर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन वास्तुकला को समर्पित एक खूबसूरत मंदिर है जो कि कलिंग काल की कलाकृतियों को पेश करता है। मंदिर की दीवारों पर बनी मूर्तियां उस जमाने के कारीगरों के हुनर को दर्शाती हैं। यहां के बांकुरा जिले में स्थित यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव का पूजास्थल माना जाता है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
कोलकाता में स्थित मां काली का दुनिया भर में विख्यात मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है। हुगली नदी के तट पर स्थित यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में फैला है। मान्यता है कि यहां पर स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस ने मां जगदंबा की स्थापना की थी। यहां आज भी उनकी समाधि स्थित है। यहां पर अलग-अलग देवी देवताओं के 12 मंदिर स्थित हैं। इनमें एक शिव मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर और यहां की रानी रसमणि का मंदिर है। मंदिर को बंगाल की नवरत्न संस्कृति के आधार पर बनाया गया है। यहां पर 9 मीनारें और 3 तल बने हैं। दक्षिणेश्वर काली मंदिर की स्थापना 19 वीं शताब्दी के मध्य में रानी रासमणि ने की थी। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि रानी रसमणि के स्वप्न में दर्शन देकर मां काली ने स्वयं इस मंदिर के निर्माण का संकेत दिया था। तब रसमणि ने हुगली नदी के तट पर यह मंदिर बनवाया था।
रामपारा कालीबाड़ी
कोलकाता के नजदीक रामपारा कालीबाड़ी मंदिर स्थित है। इस मंदिर को सिद्धेश्वरी काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यहां मां काली की 500 साल पुरानी लकड़ी की मूर्ति स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां लोग अपनी साधना पूर्ण करने आते हैं।
कृपामयी काली मंदिर
कृपामयी काली मंदिर 19वीं शताब्दी में बना मां काली का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां माना जाता है कि काली माता ममता की मूरत के रूप में स्थापित हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। इस मंदिर को जयमित्र कालीबाड़ी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर जमींदार जयराम मित्र के द्वारा बनाया जाएगा।
कनक दुर्गा मंदिर मिदानपोर
कनक दुर्गा मंदिर झाड़ग्राम उपमंडल के जंबोनी क्षेत्र में स्थित है, जिसे पहले गेटवे टू बंगाल के नाम से भी जाना जाता था। यह पश्चिम बंगाल के पुराने मंदिरों में से एक है और झारखंड की सीमा से लगा हुआ है। यह पश्चिम बंगाल स्थित एक और प्रसिद्ध देवी मंदिर है।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर है। यह हिंदू मंदिर पश्चिम बंगाल के गरिया इलाके में काफी मान्यता वाला मंदिर माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में कई पर्यटक और स्थानीय लोगों आते हैं। पश्चिम बंगाल में प्रसिद्ध देवी मंदिरों में से एक है।