विनायक चतुर्थी पर इन मंत्रों के जाप से होगी सुख-समृद्धि की प्राप्ति

Update: 2023-06-22 11:38 GMT
सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजनीय देव माना गया हैं बिना इनकी पूजा को कोई भी शुभ कार्य आरंभ नहीं हो सकता हैं माना जाता हैं नए कार्य की शुरुआत से पहले अगर भगवान श्री गणेश की पूजा की जाए तो वो कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाता हैं। धार्मिक तौर पर श्री गणेश की आराधना व साधना के लिए वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार समर्पित हैं लेकिन विनायक चतुर्थी बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि हर महीने पड़ती हैं अभी आषाढ़ माह चल रहा है और इस माह पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को आषाढ़ विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा हैं।
जो कि आज यानी 22 जून दिन गुरुवार को मनाई जा रही हैं इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से गणपति की कृपा बरसती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान गणेश के शक्तिशाली मंत्र।
श्री गणेश के चमत्कारी मंत्र-
गणेश मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
कर्ज मुक्ति मंत्र
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”
गणेश कुबेर मंत्र
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
विघ्न नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।
लक्ष्मी गणेश ध्यान मंत्र
दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
अष्टविनायक मंत्र
स्वस्ति श्रीगणनायकं गजमुखं मोरेश्वरं सिद्धिदम् ॥
नौकरी प्राप्ति के लिए मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
गणेश मंत्र स्तोत्र
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥
चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥
तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥
चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥
अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥
इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥
तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥
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