जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और सभी रोगों को दूर करने का वरदान मांगा जाता है. बता दें कि मां चंद्रघंटा दुर्गा मां का तीसरा रूप हैं, जिन्होंने महिषासुर का संहार कर देवताओं की रक्षा की थी. कहते हैं हर पूजा आरती और मंत्रों के बिना अधूरी है. इसलिए मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान व्रत कथा और पूजा विधि को जानने के साथ-साथ आरती और मंत्रों (Chandraghanta mantra) के बारे में भी पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मां चंद्रघंटा की पूजा में किन मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती (Chandraghanta Aarti) क्या है
मां चंद्रघंटा के मंत्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।
घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी।।
"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।"
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा की आरती
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।