चंद्र ग्रहण के दौरान कर लें इनमें से किसी एक चमत्कारी मंत्र का जाप

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण की घटना को अशुभ माना गया है. अतः इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. ग्रहण का प्रभाव जीव-जन्तुओं से लेकर मानव जाति पर भी पड़ता है.

Update: 2022-11-05 02:30 GMT

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण की घटना को अशुभ माना गया है. अतः इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. ग्रहण का प्रभाव जीव-जन्तुओं से लेकर मानव जाति पर भी पड़ता है. 8 नवंबर 2022 मंगलवार के दिन साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण किसी भी माह के पूर्णिमा तिथि के दिन ही लगता है.

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण के दौरान कई चीजे करने की मनाही होती है. इस समय सिर्फ भगवना का स्मरण करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष शास्त्र में कुछ चमत्कारी और शक्तिशाली मंत्रों के जाप के बारे में बताया गया है, जिनका जाप करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं छूमंतर हो जाएंगी.

चंद्र ग्रहण के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

1. शत्रुओं से मुक्ति के लिए बगलामुखी मंत्र का जाप करना उत्तम रहता है.

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:.

2. अगर आप किसी मुकदमे में फंसे हुए हैं, और उसे जीतना चाहते हैं तो इस मंत्र का उच्चारण करना सर्वोत्तम उपाय है.

ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।। इस मंत्र में 'सर्वदुष्टानां' के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लें, जिससे छुटकारा पाना चाहते हैं.

3. कहते हैं कि ग्रहण के दौरान किए गए जाप जल्दी सिद्ध पाते हैं. ऐसे ही धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें.

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:.

4. चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्र के उच्चारण से वाक सिद्धि की प्राप्ति होती है.

ॐ ह्लीं दुं दुर्गाय: नम:.

5. नौकरी और व्यापार में वृद्धि चाहते हैं तो चंद्र ग्रहण के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें.

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:.

मानसिक शांति और धार्मिक दृष्टिकोण से करें इन मंत्रों का जाप

6. ॐ ऐं क्लीं सौमाय नामाय नम:.

7. ॐ सों सोमाय नमः.

8. ॐ शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नम:.

9. ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः.

10. ॐ चं चंद्रमस्यै नम:.


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