Chanakya Niti : ये 5 काम जो लोग नहीं करते, उनका जीवन पशु के समान होता है…
आचार्य चाणक्य का मानना था कि भगवान ने इंसानों को विशेष गुण दिए हैं, जिनका सभी को सम्मान करना चाहिए. यही विशेष गुण व्यक्ति को पशुओं से अलग करते हैं. ऐसे में व्यक्ति को गुणों को निखारना चाहिए. आचार्य ने 5 कामों का जिक्र करते हुए कहा है कि जो पुरुष ऐसा नहीं करते, उनका जीवन पशुओं के समान है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में एक श्लोक के जरिए कुछ गुणों के बारे में बताया है. श्लोक है- 'येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मं:, ते मत्र्य लोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति' इस श्लोक में आचार्य ने विद्या, तप, दान और नम्रता की महत्ता के बारे में बताया है. आप भी जानें इसके बारे में.
आचार्य का तात्पर्य है कि विद्या प्राप्त करने से व्यक्ति के ज्ञान का विस्तार होता है. वो शिक्षित व्यवहार करता है और समाज में मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है. इसलिए व्यक्ति को जितना संभव हो उतनी विद्या प्राप्त करनी चाहिए. विद्या प्राप्त करने का सौभाग्य सिर्फ मनुष्यों के ही पास है, पशुओं पर नहीं.
मनुष्यों को ही भगवान ने कर्म करने का गुण दिया है, जिससे वो मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकता है. ऐसे में व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के साथ कुछ समय तप के लिए जरूर निकालना चाहिए.
दान की महत्ता के बारे में शास्त्रों में भी बताया गया है. दान से आपके बुरे कर्म कट जाते हैं और आपका जीवन संवर जाता है. जो व्यक्ति खुद के लिए कमाता है और दान नहीं करता, उसका ये कर्म पशु की भांति होता है.
नम्रता हमेशा ज्ञान से आती है. आप जितने नम्र होंगे, आपका व्यक्तित्व भी उतना ही महान बनेगा. इसलिए अपने व्यवहार में नम्रता बनाकर रखें.