चाणक्य नीति: इन परिस्थितियों में व्यक्ति को मिलता है सबसे ज्यादा कष्ट

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया है।

Update: 2022-05-09 05:39 GMT

   जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया है। चाणक्य नीति आज भी लोगों के बीच प्रासंगिक है। चाणक्य की बातें व्यक्ति को भले ही कड़वी लग सकती हैं, लेकिन जीवन में सफलता पाने के लिए प्रेरित भी करती हैं। जानें चाणक्य नीति के अनुसार किन परिस्थितियों में व्यक्ति को मिलता है सबसे ज्यादा कष्ट-

कान्ता वियोगः स्वजनापमानि ।
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च ।
विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
चाणक्य नीति के अनुसार, किसी मनुष्य के लिए पत्नी का वियोग होना, अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत होना, कर्ज, दुष्ट राजा की सेवा करना और गरीबों व कमजोर लोगों की सभा में शामिल होना ये छह बातें व्यक्ति को बिना अग्नि के ही जला देती हैं।
चाणक्य के अनुसार, जिस व्यक्ति के पत्नी छोड़कर चली जाती है, उसका दर्द वही समझ सकता है। वहीं अपनों के द्वारा की गई बेइज्जती बहुत कष्टकारी होती है। यह एक ऐसा दुख होता है जिसे भुला पाना आसान नहीं होता है। इससे ज्यादा कष्टकारी दुष्ट राजा की सेवा करना होता है।
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को सफलता पाने के लिए अच्छी संगत अपनानी चाहिए। चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति गलत लोगों की संगत करता है। दुष्ट लोगों के साथ उठता-बैठता है और बुरे कार्यों को करता है। ऐसे व्यक्ति को बर्बादी से कोई बचा नहीं सकता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा संगत के बारे में गंभीर होना चाहिए।


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