Chanakya Niti : इन 4 से पूरी ईमानदारी से मित्रता निभाएंगे.....तो जीवन के अंत तक मिलेगा इनका भरपूर साथ

आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र नामक ग्रंथ में एक श्लोक के जरिए 4 मित्रों के बारे में बताया है. आचार्य का मानना था कि अगर आप इन 4 से ईमानदारी के साथ मित्रता निभाएंगे, तो ये आपको कभी धोखा नहीं देंगे.

Update: 2022-03-10 02:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र नामक ग्रंथ में एक श्लोक के जरिए 4 मित्रों के बारे में बताया है. आचार्य का मानना था कि अगर आप इन 4 से ईमानदारी के साथ मित्रता निभाएंगे, तो ये आपको कभी धोखा नहीं देंगे. आचार्य कहते हैं- 'विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च, व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य'

आचार्य ने सबसे पहला मित्र विद्या को बताया है. आचार्य का मानन था कि जब आप घर से बाहर निकलते हैं, तो आपकी विद्या हमेशा आपके साथ होती है और आपको सही और गलत का भेद बताती है. ये आपको समाज में सम्मान दिलाती है. इसलिए विद्या को जितना अर्जित कर सकते हैं, जरूर करें.
व्यक्ति की दूसरी सच्ची मित्र उसकी पत्नी होती है. एक अच्छी पत्नी अपने पति का हर सुख दुख में साथ निभाती है. उसकी परेशानियों को दूर करने के लिए तमाम जतन करती है और परिवार की सुख समृद्धि के बारे में हर संभव प्रयास करती है. मरते दम तक वो पति को किसी भी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ती.
तीसरी सच्ची मित्र औषधि है. औषधि बीमार व्यक्ति को फिर से सेहतमंद बनाती है. बीमारी में जब कोई मदद करने लायक नहीं होता, तो औषधि ही साथ निभाती है.
चौथा सच्चा मित्र व्यक्ति का धर्म है. धर्म से जुड़कर अच्छे कार्य करने से आपको पुण्य प्राप्त होता है. मृत्यु के समय जब सारी भौतिक चीजें आपका साथ छोड़ देती हैं, यहां त​क कि आपका शरीर भी आपके साथ नहीं होता, तब भी आपके पुण्य कर्म आपके साथ चलते हैं. समाज में भी धार्मिक कार्यों की बदौलत व्यक्ति को सम्मान मिलता है और उसे मरने के बाद भी याद किया जाता है. इसलिए धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ाइए और जितना संभव हो, लोगों के हित के​ लिए काम कीजिए.


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