कल से शुरू चैती छठ पूजा, जानिए महत्व एवं व्रत के नियम

छठ पूजा का पर्व मुख्यता बिहार में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। आस्था का महापर्व छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है।

Update: 2021-04-15 03:06 GMT

छठ पूजा का पर्व मुख्यता बिहार में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। आस्था का महापर्व छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक कार्तिक माह में और एक चैत्र माह में। इस बार चैती छठ 16 अप्रैल से शुरू हो रहा है। छठ पूजा का पावन पर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है। महिलाएं छठ के दौरान लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं चार दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व का महत्व और व्रत के नियम....

चैत्र छठ पूजा का महत्व
छठ के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मईया सूर्य देव की मानस बहन हैं। महिलाएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि छठी मई या संतान की रक्षा करती हैं।
छठ पर्व-
16 अप्रैल 2021 से 19 अप्रैल 2021 तक चैती छठ पर्व मनाया जाएगा।
नहाय- खाय
16 अप्रैल 2021 को नहाय- खाय किया जाएगा। नहाय खाय के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चने की सब्जी, चावल, साग खाया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना
खरना 17 अप्रैल 2021, शनिवार से किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
षष्ठी तिथि पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
षष्ठी तिथि पर शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस साल 18 अप्रैल 2021, रविवार को षष्ठी तिथि पड़ रही है।
चैती छठ पर्व का समापन
सप्तमी तिथि को चैती छठ का समापन किया जाता है। इस साल 19 अप्रैल, सोमवार को इस महापर्व का समापन किया जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है।


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