इस एक रत्न को पहनने से मिलती है शनि, राहु और केतु की पीड़ा से मुक्ति, दुर्घटनाओं से भी बचाता है यह रत्न

शनि, राहु और केतु की पीड़ा से मुक्ति के लिए अलग-अलग धारण किए जाते हैं. रत्न शास्त्र के मुताबिक शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है.

Update: 2021-12-14 05:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष के मुताबिक रत्न हर इंसाने के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं. भाग्य का साथ नहीं मिल रहा हो या आर्थिक तंगी हो तो इसके लिए खास रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा रत्न का ग्रहों से भी कनेक्शन है. हर ग्रह-दोष की शांति के लिए अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं. लेकिन एक रत्न ऐसा है जिसे पहनने से शनि, राहु और केतु इन तीनों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. आखिर वह कौन सा रत्न है इसे जानते हैं.

शनि-राहु और केतु
शनि, राहु और केतु की पीड़ा से मुक्ति के लिए अलग-अलग धारण किए जाते हैं. रत्न शास्त्र के मुताबिक शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है. लेकिन शनि, राहु और केतु इन तीनों से मुक्ति के लिए लाजवर्त (Lapis lazuli) बेहद असरकारक है. इसका अंग्रजी नाम लेपिज लाजुली (Lapis lazuli)है.
लाजवर्त पहनने के फायदे
दुर्घटनाओं से बचने के लिए भी लाजवर्त रत्न को पहनने की सलाह दी जाती है. अगर अचानक धन हानि होती है तो इससे बचने के लिए भी धारण करने के लिए कहा जाता है. ज्योतिष के मुताबिक राहु-केतु के कारण पितृ दोष का संकट झेलना पड़ता है. लाजवर्त धारण करने से पितृ दोष शांत होता है. इसके अलावा बिजनेस में तरक्की के लिए भी लाजवर्त पहनना शुभ होता है. अगर जन्म कुंडली में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दोष है तो इसके लिए भी लाजवर्त फायदेमंद होता है.
कैसे पहने लाजवर्त
लाजवर्त को अंगूठी, ब्रॅासलेट और लॉकेट में बनवाकर पहना जा सकता है. लाजवर्त को शनिवार के दिन पंचधातु या स्‍टील की धातु में जड़वाकर धारण करना चाहिए. लाजवर्त धारण करने के लिए सूर्यास्त से दो घंटे पहले का समय अच्छा रहता है. किसी शनिवार के दिन इसकी प्राण प्रतिष्ठा करके शनि के किसी भी मंत्र को बोलते हुए इसे धारण करना चाहिए.


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