दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार धनतेरस के दिन से आरंभ होता है और भाई दूज के दिन तक चलता है. धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है. इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इतना ही नहीं इसे काली चौदस और नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नरक चतुर्दशी बेहद खास मानी जा रही है.
शास्त्रों के मुताबिक इस दिन यमदेव की पूजा-उपासना की जाती है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा चली आ रही है. आइए जानते हैं इस दिन की तिथि और महत्व के बारे में.
कैसे मनाते हैं नरक चतुर्दशी 2022
धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली, काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन शाम के समय घरों में दीपक जलाने की परंपरा है. इस दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व है. कहते हैं कि इस दिन दीपक जलाकर यमदेव की पूजा करके उनके असमय मृत्यु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है.
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर 2022 को शाम 6 बजकर 3 मिनट पर कार्तिक चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा और 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 27 मिनट पर इसका समापन होगा. बता दें कि काली चौदस का मुहूर्त 23 अक्टूबर को 11 बजकर 40 मिनट से 24 अक्टूबर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
नरक चतुर्दशी की कथा
शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. आलौकिक शक्तियां होने के कारण उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था. देवताओं पर नरकासुर की यातनाएं बढ़ती जा रही थीं. तब सभी देवता अपनी समस्या लेकर भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे. श्री कृष्ण देवताओं की स्थिति देखते हुए उनकी मदद को तैयार हो गए.
बता दें कि नरकासुर को श्राप मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों ही होगी. तब श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चौदस को नरकासुर का वध कर दिया. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नरकासुर की मृत्यु के बाद 16 हजार बंधकों को मुक्त कर दिया गया. तब से इन 16 हजार बंधकों को पटरानियों के नाम से जाना जाने लगा. और नरकासुर की मृत्यु के बाद से कार्तिक मास की चौदस को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाने लगा.