हनुमान जी के इन उपाय को करने से दूर होती हैं सारी परेशानियां
कलयुग में श्री हनुमान जी की साधना अत्यंत फलदायी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कलयुग में श्री हनुमान जी की साधना अत्यंत फलदायी है। अष्ट चिरंजीवी (अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम) में से एक हनुमान जी वो देवता हैं जो प्रत्येक युग में मौजूद रहते हैं। कहते हैं जिस घर में बजरंगी के आराध्य श्री राम कथा का गुणगान होता है, वहां पर हनुमान जी जरूर मौजूद रहते हैं। जिस तरह शंकर का शिवालय बगैर नंदी के नहीं होता है, कुछ वैसे श्री राम का देवालय बगैर भगवान श्री हनुमान जी के पूरा नहीं होता है।
बजरंगी का नाम लेते ही सारे संकट कट जाते हैं। आज श्री हनुमान जी की पूजा का शुभ दिन मंगलवार है। मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और सब मंगल ही मंगल होता है। आज के दिन दिन यदि कोई साधक बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए प्राचीन प्रमाणिक विधि से पूजन-पाठ करता है तो निश्चित रूप से उसके ऊपर हनुमत कृपा बरसती है। बजरंग बली की आशीर्वाद से साधक को पूरे साल सफलता और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
मंत्र से पूरी होगी मनोकामना
हनुमत साधना में मंत्र, चौपाई आदि का जप तुरंत फलदायी है। मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी को चोला चढ़ाकर नीचे दिये गये दिव्य मंत्र का जाप करें। इस मंत्र को श्री हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर तुलसी की माला से जपें।
मंत्र –
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नामं वारानने।।
जब हनुमान जी को चढ़ाएंगे पान
हनुमान जी की पूजा में चढ़ाई जाने वाली चीजों में तुलसी दल की तरह पान का भी काफी महत्व है। बजरंगी की साधना करते समय आप एक पान के पत्ते में थोड़ा गुड़ व चना रख कर अर्पित करें। इस उपाय को करने से आपके जीवन की तमाम परेशानियां दूर होंगी और आपके जीवन में मिठास ही मिठास रहेगी।
हनुमत साधना के बड़े लाभ
रूद्रावतार हनुमान में अपार शक्तियां और चमत्कारी क्षमताएं निहित हैं। अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता कहलाने वाले हनुमान जी की साधना से निम्नलिखित लाभ होते हैं —
— हनुमान जी की साधना करने से साधक को बल, बुद्धि और तेज का आशीर्वाद मिलता है।
— हनुमत साधना से साधक को सारे लौकिक एवं पारलौकिक अनुभव प्राप्त होने लगते हैं।
— हनुमत साधना से समस्त रोग एवं शोक दूर हो जाते हैं और साधक स्वस्थ और कांतिवान बना रहता है।
— हनुमत साधना से साधक के भीतर मन या तन किसी प्रकार की दुर्बलता नहीं रहती।
— हनुमत साधना करने वाले साधक के भीतर का अहंकार दूर हो जाता है।