भ्रष्टाचार का कठघरा

दिल्ली के नए उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में यहां के कुछ अफसरों के खिलाफ जैसी कार्रवाई की है, उससे एक बार फिर यह जाहिर हुआ है कि राजनीतिक दलों की कथनी और करनी में कितनी बड़ी खाई हो सकती है।

Update: 2022-06-24 05:01 GMT

Written by जनसत्ता: दिल्ली के नए उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में यहां के कुछ अफसरों के खिलाफ जैसी कार्रवाई की है, उससे एक बार फिर यह जाहिर हुआ है कि राजनीतिक दलों की कथनी और करनी में कितनी बड़ी खाई हो सकती है। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के मातहत काम करने वाले तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय में तैनात एक उप सचिव भी शामिल हैं, जिन पर एक पुराने मामले में कार्रवाई हुई है।

इन अधिकारियों पर ताजा कार्रवाई का आधार यह है कि निलंबित अधिकारियों ने संपत्ति की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी की थी। फिलहाल इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। जाहिर है, दिल्ली की आम आदमी पार्टी यानी 'आप' की सरकार के लिए यह एक और बड़ा झटका है। यों दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपना पद संभालने के बाद यह साफ कर दिया था कि भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी और इसके तहत जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ सख्ती होगी। ताजा कार्रवाई को उनके इसी रुख का नतीजा माना जा सकता है। मगर अब इस मसले पर अगर फिर से दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव का नया अध्याय शुरू हो जाए, तो हैरानी नहीं होगी।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के दो मंत्री पहले ही अलग-अलग मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इनमें स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन धनशोधन मामले में इन दिनों तिहाड़ जेल में हैं। दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर असम के मुख्यमंत्री की पत्नी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है और इसमें सौ करोड़ रुपए हर्जाना मांगा है। यह स्थिति दिल्ली में पार्टी के नेताओं की है, जहां उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने का एलान किया था और सिर्फ इसी वजह से उसके पक्ष में जनसमर्थन उभरा था।

 

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