भगवान विष्णु को समर्पित भाद्रपद मास फिर क्यों नहीं होते विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य, ये है वजह

गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य, ये है वजह

Update: 2023-09-02 10:14 GMT
धर्म और विज्ञान भले ही एक दूसरे से कितने ही अलग क्यों ना हो लेकिन एक चीज ऐसी है जो हमेशा इन्हें जोड़े रखती है, वो है विश्वास. बस फर्क इतना है कि विज्ञान में ज्ञान है तो विश्वास है और धर्म में विश्वास है तो ज्ञान है. यही विश्वास मनुष्य जाति के जीवन का आधार है. इसलिए धर्म और विज्ञान को एक दूसरे का पूरक माना जाता है क्योंकि कहीं ना कहीं धर्म के तार विज्ञान से ही जुड़े हुए हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले चातुर्मास जो व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने हैं. ये चातुर्मास पूजा पाठ, व्रत और दान पुण्य के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं लेकिन इनमें मुंडन, शादी ब्याह और गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य निषेध होते हैं. इसके पीछे धार्मिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी हैं. आइए समझते हैं क्या हैं वो कारण-
चातुर्मास हर साल देवशयनी एकादशी से शुरू होते हैं और देवउठान एकादशी पर समाप्त होते हैं. चातुर्मास की शुरुआत श्रावण मास से होती है, फिर आता है भाद्रपद, फिर अश्विन और आखिर में कार्तिक मास. फिलहाल श्रावण मास खत्म होने के बाद भाद्रपद मास चल रहा है.
योग निद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीनों की योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठान एकादशी पर ही जागते हैं. चार महीनों के इसी समय को चातुर्मास कहा जाता है. इस दौरान पृथ्वी के संचालन की जिम्मेदारी महादेव पर होती है. भगवान विष्णु के चार महीनों के लिए योग निद्रा में जाने के कारण ही इस दौरन विवाह, मुंडन जैसे शुभ कार्य वर्जित होते हैं.
भाद्रपद भगवान विष्णु की आराधना का महीना
मान्यता ये भी है कि इन चार महीनों में जो भी भक्त भगवान विष्णु की आराधना करता है उसे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है. इसी के चलते ध्यान और साधना करने वालों के लिए चातुर्मास का काफी महत्व है. चातुर्मास में भाद्रपद का महीना भगवान विष्णु को समर्पित हैं. ऐसे में इस दौरान भगवान विष्णु की आराधना करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इतना ही नहीं भाद्रपद मास में ही कृष्ण जन्माष्टमी से लेकर गणेश चतुर्थी तक, हिंदू धर्म के कई बड़े त्योहार पड़ते हैं. वहींइस दौरान विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य ना कराने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं.
वैज्ञानिक कारण भी जान लीजिए
दरअसल इन चार महीनों में बैक्टेरिया और वायरस ज्यादा होते हैं जिनकी वजह से कोई ऐसा कार्य करने से बचा जाता है जिसमें कई लोग इकट्ठा हों ताकी इन बैक्टेरिया और वायरस होने वाली बीमारियों से बचा जा सके. इसके अलावा चातुर्मास में पाचन शक्ति भी कमजोर पड़ जाती है और पानी दूषित होने की संभावनाएं भी रहती हैं. ऐसे में खानपान को लेकर भी कई चीजें निषेध बताई गई हैं. भाद्रपद की बात करें इस माह में दही और इससे बनी चीजें जैसे लस्सी, छाछ का सेवन निषेध बताया गया है. इसके पीछे एक बड़ी वजह है बारिश का मौसम. इस मौसम में दही का सेवन करने से कफ की समस्या हो सकती है. इसके अलावा इन दिनों में दही में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है जिससे आंतों को नुकसान पहुंच सकता है.
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