11 अगस्त को व्यपिनी पूर्णिमा में भद्रादोष व्याप्त, शुभ मुहूर्त कल रात 08:53 बजे के बाद

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन भद्रारहित अपराह्न व्यपिनी पूर्णिमा में करने का विधान है। इस वर्ष लोगों में काफी संशय है कि रक्षाबंधन 11 को मनाया जाए या 12 अगस्त को। ज्योतिष गणना में दोनों ही दिन रक्षासूत्र बांधने का मुहूर्त है। हालांकि अधिकांश ज्योतिषाचार्य मान रहे हैं कि 11 अगस्त को रात 8:53 बजे के बाद रक्षाबंधन का विशेष शुभ मुहूर्त है।

Update: 2022-08-10 04:35 GMT

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन भद्रारहित अपराह्न व्यपिनी पूर्णिमा में करने का विधान है। इस वर्ष लोगों में काफी संशय है कि रक्षाबंधन 11 को मनाया जाए या 12 अगस्त को। ज्योतिष गणना में दोनों ही दिन रक्षासूत्र बांधने का मुहूर्त है। हालांकि अधिकांश ज्योतिषाचार्य मान रहे हैं कि 11 अगस्त को रात 8:53 बजे के बाद रक्षाबंधन का विशेष शुभ मुहूर्त है।

बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं. राजीव शर्मा का कहना है कि यदि पहले दिन व्याप्त पूर्णिमा के अपराह्न काल में भद्रा हो तथा दूसरे दिन उदय कालिका पूर्णिमा तिथि त्रिमुहूर्त-व्यपिनी हो तो उसी उदय कालिक पूर्णिमा के अपराह्न काल में रक्षाबंधन करना चाहिए। यदि आगामी दिन पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यपिनी न हो तो पहले दिन भद्रा समाप्त होने पर प्रदोष काल में रक्षा सूत्र बांधने का विधान है।

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11 अगस्त को व्यपिनी पूर्णिमा में भद्रादोष व्याप्त

इस वर्ष 11 अगस्त को अपराह्न व्यपिनी पूर्णिमा में भद्रादोष व्याप्त है। 12 अगस्त को पूर्णिमा प्रात: 07:06 बजे तक ही रहेगी। यह पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यपिनी नहीं है। पूर्णिमा 07:06 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में ज्योतिष गणना के अनुसार 11 को प्रदोषकाल के समय भद्रा रहित काल में रात्रि 8:53 बजे के बाद रक्षाबंधन पर्व मनाया जायेगा। यह शुभ मुहूर्त 09:42 बजे तक रहेगा।

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पौधरोपण के साथ मनायें श्रावणी पूर्णिमा: इस पर्व पर पौधरोपण भी किया जाता है। इसका विशेष फल प्राप्त होता है। वृक्ष परोपकार के प्रतीक हैं। वृक्षों से वर्षा होती है। प्रदूषण नियंत्रित होता है। पौधरोपण जैसा पुण्य कार्य व वृक्षपूजन इस पर्व की विशेषता है।


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