मृत्यु के समय निकट आते ही आंखों के सामने से गुजरते हैं इंसान के कर्म

गरुड़ पुराण को सनातन धर्म में महापुराण की संज्ञा की गई है

Update: 2021-07-06 07:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गरुड़ पुराण को सनातन धर्म में महापुराण की संज्ञा की गई है. इस महापुराण में जीवन जीने के तमाम ​नीति और नियम बताए गए हैं, साथ ही मृत्यु के समय और इसके बाद की स्थितियों का भी वर्णन किया गया है. गरुड़ पुराण में कर्म के आधार पर मरने के बाद स्वर्ग, नर्क और मृत्यु लोक मिलने की बात कही गई है. इसके अलावा मरते समय व्यक्ति कैसा महसूस करता है, उसके प्राण कैसे निकलते हैं, इन बातों का भी जिक्र किया गया है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि मृत्यु जब निकट आती है तो व्यक्ति कैसा महसूस करता है.

1. गरुड़ पुराण के मुताबिक जब व्यक्ति की मृत्यु निकट आती है तो कई लोगों के की आंखों के सामने जीवन में किए गए कर्मों की मानो रील जैसी घूमने लगती है. व्यक्ति के जीवन के अंतिम समय से लेकर उसके जन्म तक मानों सारे कर्म रिवर्स गियर मे चलती हैं. इस समय में व्यक्ति को पहले से अहसास होने लगता है कि उसने क्या सही और क्या गलत किया है. इसी के आधार पर मरने के बाद यमराज न्याय करते हैं.
2. गरुड़ पुराण में लिखा है कि कई बार जब व्यक्ति की मृत्यु निकट आती है तो उसे पानी में, तेल में या शीशे में अपनी परछाई विकृत दिखाई देने लगती है. यदि ऐसा हो तो समझ लेना चाहिए कि मृत्यु अब निकट है.
3. मृत्यु के करीब आते ही कुछ लोगों के आंखों की रोशनी खत्म होने लगती है और उसे अपने आसपास बैठे लोग भी दिखने बंद हो जाते हैं.
4. गरुड़ पुराण के मुताबिक जिन लोगों के कर्म अच्छे होते हैं, उन्हें मरते समय अपने सामने दिव्य प्रकाश नजर आता है. इन लोगों को प्राण छोड़ते समय न तो ज्यादा कष्ट होता है और न ही मृत्यु से डर लगता है.
5. वहीं जो लोग मोह माया में फंसे होते हैं, उनके प्राणों को यमराज के दूत जबरन खींचते हैं. ऐसे लोगों को प्राण छोड़ते समय काफी कष्ट होता है. इसीलिए मरने से पहले ही मोह माया छोड़ देने के लिए कहा जाता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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