ज्योतिष शास्त्र: जानिए नीलम रत्न पहनने के नियम
रत्न ज्योतिष शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण शाखा मानी गई है। जब भी किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। blue sapphire stone benefits: मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों पर नीलम रत्न का अच्छा और शुभ प्रभाव रहता है। वहीं जातक की कुंडली में अगर शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम रत्न धारण करने पर बहुत लाभ मिलता है।
विस्तार
Blue Sapphire Stone Benefits: रत्न ज्योतिष शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण शाखा मानी गई है। जब भी किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है तो उसे बलवान बनाने के लिए ज्योतिषी किसी खास रत्न को धारण करने की सलाह देता है। सभी 9 ग्रहों का किसी न किसी रत्न से विशेष संबंध होता है। आज हम आपको ऐसे ही एक रत्न के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका प्रभाव बहुत जल्द देखने को मिलता है। इस रत्न का नाम है नीलम। इस नीलम रत्न की खास बात यह होती है कि अगर जिस किसी को यह रत्न सूट करने लगता है तो इसका असर मात्र 48 घंटों में देखने को मिलने लगता है। लेकिन वहीं जिन जातकों पर यह रत्न कारगर नहीं होता है उन्हें इसका बुरा परिणाम फौरन ही देखने को मिलने लगता है। इसलिए नीलम रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह अवश्य लेना चाहिए क्योंकि नीलम रत्न धारण करना या न करना यह सभी आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं इस रत्न से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां...
कैसा होता है नीलम रत्न
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है। यह नीले रंग का होता है। जिस प्रकार किसी जातक की कुंडली में अगर शनि शुभ भाव में होते है वे उस व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के सुख, सुविधा और ऐशोआराम को भर देते हैं। जब भी नीलम रत्न धारण करें तो इस बात का ध्यान रखें कि नीलम हमेशा उत्तम क्वालिटी का होना चाहिए।
असली नीलम की कैसे करें पहचान
बाजार में असली और नकली दोनों तरह के नीलम देखने को मिलते हैं ऐसे में असली नीलम की पहचान करना मुश्किल काम होता है। असली नीलम रत्न की पहचान गहरे नीले रंग, पारदर्शी, छुने में मुलायम और इसके अंदर देखने पर इसमें किरणें निकलती हुए प्रतीत होती है। असली नीलम की पहचान करने के लिए एक तरीका बहुत ही कारगर माना जाता है। अगर नीलम असली है तो इसे दूध की कटोरी में थोड़ी देर तक रखने पर दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। वहीं अगर नीलम रत्न को पानी के गिलास में डालने पर पानी से किरणें दिखाई दें तो यह असली नीलम की पहचान होती है। असली नीलम में दो परत एक-दूसरे के सामान्तर दिखाई पड़ती है।
नीलम रत्न को कब करें धारण
नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है। जब किसी की कुंडली में शनि की महादशा विपरीत होती है तब नीलम रत्न पहना जा सकता है। मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों पर नीलम रत्न का अच्छा और शुभ प्रभाव रहता है। वहीं जातक की कुंडली में अगर शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम रत्न धारण करने पर बहुत लाभ मिलता है। इसके अलावा जब शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठें हो तो नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं इस बात का ध्यान रहे जब कुंडली में शनि अशुभ हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए।
कैसे पता करें नीलम आपके लिए अच्छा परिणाम देगा कि नहीं
नीलम रत्न को धारण करने से पहले एक छोटा सा प्रयोग करना चाहिए। नीलम रत्न पहने से पहले आप उस नीलम को कपड़े में लपेट कर एक सप्ताह के लिए अपने तकिए के नीचे रखें। अगर आपको अच्छी नींद आएं तो समझे कि आपके लिए नीलम पहनना शुभ रहेगा, वहीं सोते समय बुरे सपने दिखाई पड़े तो समझना चाहिए कि यह आपके लिए शुभ नहीं है।
नीलम रत्न को पहनने के नियम
जब भी नीलम रत्न धारण करें उससे पहले उसको घर पर लाने के बाद गंगाजल से भरे किसी पात्र में रख दें। फिर शनिवार के दिन अपनी बीच वाली उंगली में इसे धारण करें।
नीलम धारण करने के बाद न करें ऐसे काम
नीलम रत्न शनि का रत्न होता है। शनिदेव न्याय और कर्म के देवता माने जाता है। ऐसे में नीलम रत्न धारण करने पर व्यक्ति को हिंसा नहीं करनी चाहिए। गरीबों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए। नीलम रत्न धारण करने से बाद दान जरूर करें। शनिवार के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। नीलम रत्न पहनने के बाद किसी भी तरह के गलत कार्यों में लिप्त नहीं रहना चाहिए।