करवा चौथ पर उगते चंद्रमा को देना चाहिए अर्घ्य...जानिए चांद को अर्घ्य देने का समय

करवा चौथ... सुहागिन महिलाओं के लिए सौभाग्य का प्रतीक है। इस अवसर पर महिलाएं बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत करती हैं

Update: 2020-11-04 05:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| करवा चौथ... सुहागिन महिलाओं के लिए सौभाग्य का प्रतीक है। इस अवसर पर महिलाएं बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। चंद्र दर्शन के बाद ही सुहागिन महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। चंद्र पूजन के बिना करवा चौथ का व्रत पूरा नहीं होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। इस व्रत के फल से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन करवा माता, शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं विधिपूर्वक करवा माता की पूजा भी करती हैं।

महिलाएं इस पूरे दिन व्रत करती हैं और चंद्रोदय का बेसब्री से इंताजर करती हैं। जानकारी के मुताबिक, आज शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त है। अलग-अलग राज्य में अलग-अलग समय पर चंद्रोदय होता है। कहा जाता है कि करवा चौथ पर उगते चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में आज रात 8 बजकर 16 मिनट (दिल्ली का समय) पर चंद्रमा उदय होगा और इसके बाद ही चांद को अर्घ्य देना उचित होगा।

जानें करवा चौथ पर क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य:

जैसा कि हमने आपको बताया करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और रात के समय चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। करवा चौथ में चंद्र देव की आराधना का महत्व विशेष होता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अगर चंद्र देव की उपासना की जाए तो इससे दीर्घ आयु और पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है। 


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