Apara ekadashi 2022: कब है अपरा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि

Update: 2022-05-23 06:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Apara Ekadashi Vrat 2022 Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यंत विशेष महत्व होता है। हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि आती हैं। इन सभी एकादशी तिथियों के नाम अलग-अलग होते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को रखने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु की कृपा होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानें कब है अपरा एकादशी, पूजा मुहूर्त व पारण का समय-
अपरा एकादशी डेट 2022 (Apara Ekadashi Vrat 2022 Date)-
अपरा एकादशी व्रत 26 मई 2022, गुरुवार को है। अपरा एकादशी गुरुवार के दिन होने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। गुरुवार का दिन भी भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है।
अपरा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 25 मई 2022, को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी, जो कि 26 मई 2022 को सुबह 10 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत पारण का समय 27 मई को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय सुबह 11 बजकर 47 मिनट तक है।
एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट-
भगवान विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, फल, लौंग, नारियल, सुपारी, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन और मिठाई आदि।
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अपरा एकादशी महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी व्रत रखने से आर्थिक परेशानी दूर होती है। इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत पांडवों ने भी किया था। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अपरा एकादशी पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।


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