शरद पूर्णिमा पर अमृत वर्षा आज बन रहा विशेष संयोग, स्नान और दान कल, जाने
आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत, कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्येतिषाचार्य एसमस नागपाल ने बताया कि पूर्णिमा तिथि मंगलवार को शाम 7: 04 बजे शुरू होकर बुधवार शाम 8:26 तक रहेगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत, कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ज्येतिषाचार्य एसमस नागपाल ने बताया कि पूर्णिमा तिथि मंगलवार को शाम 7: 04 बजे शुरू होकर बुधवार शाम 8:26 तक रहेगी।
पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है। खीर मंगलवार की रात में खुले आसमान के नीचे रखनी है। वहीं उदया तिथि बुधवार को पड़ने से स्नान, दान और व्रत 20 तारीख को रहा जाएगा। इस दिन चन्द्रमा 16 कलाओं से और चांदनी अमृत से युक्त होती है।
बनेगा विशेष संयोग-
शरद पूर्णिमा पर मंगलवार को रेवती नक्षत्र और मीन राशि का संयोग बन रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने रास लीला की थी इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते है। पूर्णिमा की रात में गाय के दूध की खीर बनाकर उसमें घी, चीनी मिलाकर अर्ध रात्रि को भगवान को भोग लगाकर खीर को चांदनी रात में रखना चाहिए।चन्द्रमा की किरणों से अमृत प्राप्त होता है।