Amla Navami 2021: इस दिन है आंवला नवमी, जानिए आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाने का महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय या आंवला नवमी के नाम से मनाई जाती है

Update: 2021-10-29 16:36 GMT

Amla Navami 2021: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय या आंवला नवमी के नाम से मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है. इस दिन स्नान, दान, व्रत-पूजा का विधान रहता है. यह संतान प्रदान करने वाली और सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली नवमी होती है. भारतीय सनातन धर्म में पुत्र की प्राप्ति के लिए महिलाएं आंवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है. इस साल कार्तिक शुक्ल नवमी 12 नवंबर 2021 यानि की शुक्रवार को अक्षय नवमी है. कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर फलदायी होती है. जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं.

आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाने का विशेष महत्व
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाने का भी विशेष महत्व है. अगर आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने में असुविधा हो तो घर में खाना बनाकर आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करने के बाद भोजन करना चाहिए. खाने में खीर, पूड़ी और मिठाई हो सकती है. दरअसल, इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की परंपरा भी है. ऐसा करने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता बढ़ती है, साथ ही यह त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
इसके बाद पेड़ की जड़ों को दूध से सींचकर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटना चाहिए. और फिर रोली, चावल, धूप दीप से पेड़ की पूजा करें. और आंवले के पेड़ की 108 परिक्रमाएं करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आंवले के पेड़ की आरती करें. इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए और आखिर में खुद भी आंवले के पेड़ के पास बैठकर खाना खाएं. यह अक्षय नवमी धात्रीनवमी और कूष्माण्ड नवमी भी कहलाती है. घर में आंवले का पेड़ न हो तो किसी बगीचे में आंवले के पेड़ के पास जाकर पूजा दान आदि करने की परंपरा है. या फिर गमले में आंवले का पौधा लगाकर घर मे यह काम पूरा कर लेना चाहिए.
अक्षय आंवला नवमी का मुहूर्त
अक्षय नवमी पुरवाहना का समय- सुबह 06:31 से 8:29 तक
नवमी तिथि प्रारंभ- 12 नवंबर की सुबह 05:51 से
नवमी तिथि समाप्त- 13 नवंबर की सुबह 05:31 पर
इन उपायों को करने से दूर होंगी परेशानियां
अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें, इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है. अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के लिए गए पानी में आंवला के रस की कुछ बूंदे डालें. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी.
अक्षय नवमी के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्जवलित करें. बत्ती में रुई की जगह पर लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें. और हो सके तो दीपक में केसर भी डाल दें. इससे देवी जल्द प्रसन्न होकर कृपा करेंगी. साथ ही 5 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं. सभी कन्याओं को पीला कपड़ा और दक्षिणा देकर विदा करें. इससे माता लक्ष्मी जी बहुत खुश होती हैं. इसके अलावा श्री यंत्र का गाय के दूध से अभिषेक करें. अभिषेक का जल की छींटे पूरे घर में करें. श्रीयंत्र पर कमलगट्टे के साथ तिजोरी में पर रख दें. इससे जरूर धन लाभ होता है
ऐसे दूर होगा कुंडली से शनि दोष
अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो अक्षय नवमी के दिन से आरंभ कर 41 दिन लगातार लाल मसूर की दाल की कच्ची रोटी बनाकर मछलियों को खिलाएं. इससे मंगल ग्रह मजबूत होता है. साथ ही कर्ज या भूमि जायदाद से जुड़ी समस्या में कमी आती है. और माता महालक्ष्मी की कृपा भी बरसती है. वहीं, मंगल ग्रह शांति के लिए ब्राह्मणों और गरीबों को गुड़ मिश्रित दूध या चावल खिलाएं. नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा हैं ऐसे में जातक को दुर्गा की उपासना अवश्य करनी चाहिए.
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