Amarnath Yatra : आज से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा

Update: 2024-06-29 07:41 GMT
Amarnath Yatra : आज यानी 29 जून 2024 से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा का बहुत ही विशेष महत्व बताया गया है। यह मंदिर सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। इस यात्रा में शिवभक्त अधिक संख्या में शामिल होते हैं। खराब मौसम के बाद भी खास उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं अमरनाथ यात्रा से जुड़ी अहम जानकारी। कौन सी यात्रा पर जाता है धार्मिक
मान्यता यह है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में शिवलिंग
 Shivling in Amarnath Cave 
के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यात्रा को करने से 23 तीर्थयों का पुण्य प्राप्त होता है, पुराणों में बताया गया told in the Puranas है कि लिंग दर्शन से दस गुना, पूजा से दस गुना, प्रार्थना से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थयात्रियों से हजार गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। यह भी माना जाता है कि यात्रा करने से जातक को सभी रोगों और पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसलिए कठिनतम से लेकर श्रद्धेय शिव भक्त अमरनाथ यात्रा में शामिल होते हैं। यात्रा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। अमरनाथ यात्रा के नियम
अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी शिवभक्त को गलत न कहें।
किसी के मन में गलत विचार न लाएं। भगवान शिव के नाम Names of Lord Shiva का जप करना। शराब या धूम्रपान का सेवन न करें। साथ ही तामसिक भोजन के सेवन से भी दूर रहें। खान-पान पर विशेष ध्यान दें। यात्रा के दौरान कूड़ा फैलाने वाले पर्यावरण को नियंत्रित न करें। सभी आवश्यक दस्तावेज़ अपने पास रखें. ऐसे होता है शिवलिंग का निर्माण
समुद्र तल से 3978 मीटर की ऊंचाई पर अमरनाथ गुफा में शिव का शिवलिंग स्थित है। पवित्र गुफा 90 फीट लंबी और 150 फीट लंबी है। ऐसी मान्यता है कि गुफा में जल की बुंदन टपकती है जिससे शिवलिंग का निर्माण होता है। जैसे-जैसे चंद्रमा का प्रभाव बढ़ता है, बर्फ से बने शिवलिंग का आकार बदलता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे शिवलिंग छोटा होता जाता है। महाराजगंज यात्रा कब से कब तक है
हर साल अमरनाथ की यात्रा का बुरा हाल है ऐसे में इस साल अमरनाथ यात्रा आज यानी 29 जून को शुरू हो गई है और 19 अगस्त को खत्म होगी।
अमरनाथ का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार राजा दश, ऋषि कश्यप और उनके पुत्र कश्मीर घाटी Sage Kashyap and his son Kashmir Valley में रहते थे। ऐसा माना जाता है कि एक समय कश्मीर घाटी पूरी तरह जलमग्न हो गई थी। इससे इस झील का रूप ले लिया। उसके बाद ऋषि कश्यप के जल से कई नदियों में पानी आ गया।
उस दौरान जब भृगु ऋषि हिमालय पर्वत की यात्रा के लिए वहां से निकले तो घाटी में पानी का स्तर कम हो गया और अमरनाथ यात्रा में उन्हें सबसे पहले पवित्र गुफा में विराजमान बर्फ के शिवलिंग के दर्शन हुए। इसलिए यह शिव की आराधना और यात्रा का मंदिर बन गया। मान्य है कि देवों के देव महादेव ने तपस्या की थी।
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