भगवान गणेश के आगमन पर ही होता है अक्षत का इस्तेमाल, जानिए
हर साल गणपति के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक गणपति का महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार ये गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. यहां जानिए इस दिन से जुड़ी खास बातें.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गजानन गणपति को समर्पित 10 दिनों तक चलने वाला महापर्व गणेश महोत्सव आने ही वाला है. 10 सितंबर शुक्रवार से इस महोत्सव का आगाज होगा और ये 19 सितंबर रविवार को अनंत चौदस तक चलेगा. हर साल इस गणेश उत्सव को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को लेकर सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र में होती है. चतुर्थी के दिन गणपति के भक्त ढोल नगाड़ों के साथ उन्हें अपने घर लेकर आते हैं.
इसके बाद गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित किया जाता है. लोग अपनी श्रद्धानुसार 5, 7 या 9 दिनों तक गणपति को अपने घर में बैठाकर रखते हैं. इस दौरान उनकी खूब सेवा की जाती है. पूजा अर्चना की जाती है और पसंदीदा भोग अर्पित किए जाते हैं. गणपति की पूजा में अक्षत का विशेष महत्व होता है. जिस समय गजानन को घर पर लाया जाता है, तब विशेष पूजा का आयोजन होता है. इस दौरान गणपति का स्वागत हल्दी और कुमकुम के साथ मिले अक्षत के साथ किया जाता है. साथ ही चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा के लिए दोपहर का समय श्रेष्ठ माना जाता है. यहां जानिए ऐसा क्यों किया जाता है !
इसलिए होता है अक्षत का इस्तेमाल
गणपति को शुभकर्ता माना जाता है और अक्षत को खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गणपति के आगमन के दौरान यदि उन पर अक्षत यानी चावल अर्पित किए जाएं तो इससे घर की तमाम बाधाएं दूर हो जाती हैं और शुभता के साथ समृद्धि भी घर में आती है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि अक्षत चढ़ाने से गणपति के साथ सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सकारात्मकता आती है. चूंकि अक्षत को सादा नहीं चढ़ाना चाहिए, इसलिए उसे हल्दी या कुमकुम में मिक्स कर दिया जाता है. इस बार अगर आप भी अपने घर में गणपति को लाने की तैयारी कर रहे हैं तो अक्षत को हल्दी या कुमकुम में मिक्स करके ही गणपति का स्वागत करें. साथ ही मिक्स करते समय ये ध्यान रखें कि चावल टूटे नहीं. पूजा में हमेशा साबुत अक्षत का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
दोपहर में पूजन का समय इसलिए है श्रेष्ठ
गणेश चतुर्थी के दिन को गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि गणपति का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय हुआ था. आमतौर पर मंदिरों में 12 बजे के बाद पूजा अर्चना नहीं होती, लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन गणपति के पूजन के लिए दोपहर का समय श्रेष्ठ माना जाता है. चतुर्थी के दिन गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:17 बजे से रात 10 बजे तक रहेगा. लेकिन बेहतर है कि आप दोपहर के समय ही गणपति की स्थापना करें और उन्हें दूर्वा, पान, सुपारी, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें. साथ ही पसंदीदा भोग लगाएं. इसके बाद उनकी स्तुति वगैरह करें.