करवाचौथ के 4 दिन बाद रखा जाएगा अहोई अष्टमी का व्रत

हिंदू धर्म में पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए कई व्रत रखे जाते हैं. इन्ही में से एक व्रत अहोई अष्टमी का है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए भूखी-प्यासी रहकर उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का व्रत करवाचौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है. इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है

Update: 2022-10-08 04:07 GMT

हिंदू धर्म में पति की लंबी आयु, संतान प्राप्ति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए कई व्रत रखे जाते हैं. इन्ही में से एक व्रत अहोई अष्टमी का है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए भूखी-प्यासी रहकर उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का व्रत करवाचौथ के 4 दिन बाद रखा जाता है. इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है. पूजा के दौरान कथा का श्रवण करने और सुनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस बार अहोई अष्टमी 17 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन संतान सुख, बच्चे की दीर्घायु और उनके उज्जवल भविष्य के लिए महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं. इस दिन तारों को देखकर व्रत पारण किया जाता है. तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं. आइए जानते हैं अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त और महत्व.

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार अहोई अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर 2022 सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर शुरू हो रही है और 18 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक है.

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - 17 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 57 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 12 मिनट तक.

तारों को देखने का समय - 17 अक्टूबर शाम 06 बजकर 20 मिनट तक.

चंद्रोदय समय - रात 11 बजकर 35 मिनट पर.

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व

शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रथ रखने से निःसंतान दापत्य को संतान सुख की प्राप्ति होती है, जिसके शिशु की मृत्यु गर्भ में हो जाती है. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अष्टमी का व्रत रखती हैं. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन तारों को देखकर व्रत खोलने की परंपरा है. वहीं, कुछ महिलाएं अहोई अष्टमी के दिन भी चांद को देखकर ही व्रत खोलती हैं. बता दें कि अष्टमी का व्रत दिवाली से आठ दिन पहले रखा जाता है.


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