अगहन मास 2021: कल से शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष का पवित्र महीना, जानें अगहन मास का महत्व
20 नवंबर 2021 से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो रही है
20 नवंबर 2021 से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो रही है, जो हिंदी कैलेंडर के मुताबिक 9वां महीना है. मार्गशीर्ष को आम भाषा में 'अगहन' भी कहते हैं. माना जाता है कि मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग की स्थापना हुई थी. महा ऋषि कश्यप ने मार्गशीर्ष महीने में ही कश्मीर राज्य की स्थापना की थी. यह मास अपने आप में बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है- माह में मैं मार्गशीर्ष हूं.
मार्गशीर्ष महीने में क्या करना चाहिए
मार्गशीर्ष या अगहन के महीने में भगवान कृष्ण की आराधना बहुत ही उत्तम मानी गई है. इस महीने किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना बहुत ही पुण्य दायक माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष महीने में मोटे कपड़े पहनना प्रारंभ कर देना चाहिए. अगहन में जीरा (मसाला) का त्याग कर देना चाहिए. अगहन के महीने में शरीर पर तेल मालिश करना बहुत ही उत्तम माना गया है.
ॐ दामोदराय नमः
मार्गशीर्ष मास के प्रारम्भ में ही हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि अपनी दिनचर्या के दौरान आप किसी की न तो निंदा करें और न ही सुनें. अगर किसी व्यक्ति के मन में किसी की निंदा करने का विचार आए तो मन ही मन ॐ दामोदराय नमः बोलकर अपने इष्ट को प्रणाम करें. इतना कहकर अपनी बात आरंभ करते हैं.
ग्रह क्लेश के कारण और निवारण
चंद्रमा और शनि साथ में, कुंडली में शुक्र या बुध कहीं एक साथ या अलग-अलग दूषित हो रहे हों, पाप प्रभाव में हों, अपनी नीच राशियों में हों. यदि किसी व्यक्ति पर देव गुरु बृहस्पति शुभ स्थानगत न हों अथवा गोचरवश नेष्ट स्थानों पर अपनी राशियों से भ्रमण करें तो जीवन में जितने मार्गदर्शन देने वाले मिलते हैं, वे झगड़ों को और उलझाने वाले ही सुझाव देते हैं. ऐसे में कोई भी व्यक्ति दूसरों की बातों में आ ही जाता है. इसके अलावा स्वयं की दिनचर्या में यदि देव, गुरु, माता-पिता का आदर न होने से बुध शुभ भी हो तो अशुभ फल मिलने लगते हैं.
बुध अशुभ अर्थात पति पत्नी में कलह. यह फल सीधे न मिलकर कुछ इस तरह से भी मिलते हैं कि किसी परिवार में बहनों, बुआ, कन्याओं का लगातार अपमान किया जाता है. वहीं माता-पिता, गुरु, ब्राह्मण, ताऊ, का अपमान अथवा अवज्ञा गुरु को दूषित करती ही है. अतः परिवार में प्रेमपूर्वक रहना, अपने प्रत्येक रिश्ते को निभाना और सदैव ही किसी की निंदा करने से बचना अत्यंत ही श्रेष्ठतम आचरण कहा गया है. इस प्रकार की स्थिति होने पर अपने आचरणों का स्वयं अवलोकन करें, चिंतन करें, मनन करें और व्यर्थ के घर को तोड़ने वाले मार्गदर्शन देने वालों से बचें. मार्गशीर्ष में किसी रिश्ते को आहत न करें. अपने स्वजनों से पूर्णरूप से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें
मार्गशीर्ष मास और ॐ दामोदराय नमः
ॐ दामोदराय नमः भगवान श्रीहरि को अत्यन्त प्रिय है. ॐ दामोदराय नमः जीवन भर की सुख समृद्धि का मूल है. अगहन के महीने में मन ही मन यह मंत्र जपकर अपने इष्ट गुरु, माता-पिता को प्रणाम करें. यह सुख समृद्धि में वृद्धि का कारक ही है.
मार्गशीर्ष मास का महत्व
मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है. इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की महत्ता गोपियों को भी बताई थी. उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा. तभी से इस माह में नदी स्नान का खास महत्व माना गया है.
कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही 19 नवंबर 2021 को कार्तिक माह खत्म हो गया और 20 नवंबर 2021 से भगवान श्री कृष्ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष या अगहन शुरू हो रहा है. मार्गशीर्ष का महीना हिंदू धार्मिक पंचांग का नौवां महीना है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक मार्गशीर्ष का महीना अत्यंत पवित्र होता है. इस महीने से ही सतयुग का आरंभ भी माना जाता है. श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- सभी बारह महीनों में मार्गशीर्ष मैं स्वयं हूं. इससे साफ पता चलता है कि यह कृष्ण का प्रिय महीना है.
मार्गशीर्ष को इसलिए कहते हैं अगहन
मार्गशीर्ष को अगहन मास कहने के पीछे भी कई तर्क हैं. भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में और अनेक नामों से की जाती है. इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का ही एक रूप है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है. ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र 27 होते हैं, जिसमें से एक है मृगशिरा नक्षत्र. इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है. इसी वजह से इस मास को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है.