30 साल बाद शनि अपनी स्वराशि में करने जा रहे प्रवेश, ये राशि वाले रहें सतर्क

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनिदेव का गोचर काफी महत्वपूर्ण है। किसी भी राशि में शनिदेव के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। शनिदेव को कर्म फलदाता कहा गया है।

Update: 2022-03-08 04:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनिदेव का गोचर काफी महत्वपूर्ण है। किसी भी राशि में शनिदेव के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। शनिदेव को कर्म फलदाता कहा गया है। शनि ग्रह 29 अप्रैल को अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। जिसके बाद 2 राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू होगी। जानिए किन राशि वालों पर पड़ेगा प्रभाव-

इन दो राशियों पर शुरू होगी ढैय्या-
वर्तमान में शनि ग्रह मकर राशि में संचरण कर रहे हैं। इसलिए मिथुन व तुला राशि के जातकों पर शनि ढैय्या चल रही है। 29 अप्रैल से शनि स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। कुंभ राशि में शनि के गोचर करने के साथ ही मिथुन व तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही कर्क व वृश्चिक राशि वाले शनि ढैय्या की चपेट में आ जाएंगे। शनि ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है। शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों को इस दौरान शारीरिक व मानिसक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। शनि ग्रह जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।
शनि की साढ़ेसाती व शनि ढैय्या क्या होती है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं। हर चरण का समय ढाई साल होता है। जातक को पहले चरण में मानसिक व आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं जातक को दूसरे चरण में मानसिक व आर्थिक के साथ शारीरिक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है। तीसरे चरण में शनि की साढ़े साती के दौरान कुछ न कुछ लाभ होने के आसार रहते हैं।


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