सफलता के लिए आचार्य चाणक्य ने छात्रों को दिए 7 मूल मंत्र
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे योग्य बनें क्योंकि एक प्रतिभावान और योग्य बच्चा न सिर्फ अपने भविष्य को उज्जवल करता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे योग्य बनें क्योंकि एक प्रतिभावान और योग्य बच्चा न सिर्फ अपने भविष्य को उज्जवल करता है, बल्कि अपने माता-पिता का भी सिर गर्व से ऊंचा कर देता है. लेकिन बच्चे को गुणवान और योग्य बनाने के लिए बेहतर संस्कारों के साथ बेहतर शिक्षा भी जरूरी है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ऐसी सात बातें बताई हैं, जिनसे छात्रों को हमेशा दूर रहना चाहिए. जानिए उन बातों के बारे में.
क्रोध : क्रोध किसी भी शख्स का सबसे बड़ा शत्रु है क्योंकि ये सबसे ज्यादा नुकसान क्रोध करने वाले का ही करता है. क्रोध के दौरान कोई भी शख्स सही निर्णय नहीं ले सकता क्योंकि उस समय वो किसी भी परिस्थिति को पूर्ण रूप से देखने में सक्षम नहीं होता. इसलिए क्रोध से हमेशा दूरी बनाकर रखें.
कामवासना : जो छात्र वाकई अपना भविष्य उज्जवल करना चाहते हैं उन्हें कामवासना और काम क्रिया से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. इसमें पड़ने के बाद मन हमेशा भटकता रहता है. ऐसे छात्र कभी भी पूरी लगन और ईमानदारी से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते.
संतुलित आहार : छात्रों को हमेशा सात्विक और हल्का भोजन करना चाहिए. उन्हें भोजन के स्वाद पर ज्यादा नहीं जाना चाहिए, बल्कि एक तपस्वी की तरह आहार लेना चाहिए. संतुलित आहार लेने से उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनकी शिक्षा में किसी तरह का विघ्न नहीं पड़ता.
साज-सज्जा और श्रृंगार : पढ़ने वाले बच्चों को हमेशा साज-सज्जा और श्रृंगार से दूर रहना चाहिए. एक बार इसके चक्कर में पड़ने के बाद छात्र का दिमाग अक्सर फैशन के इर्द-गिर्द घूमता है. ऐसे में पढ़ाई में मन नहीं लग पाता. इसलिए छात्रों को हमेशा सादा जीवन जीना चाहिए.
मनोरंजन : मनोरंजन और खेल कूद जरूरी है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही होना चाहिए. आवश्यकता से ज्यादा मनोरंजन या खेल कूद भटकाव की वजह बन जाता है.
लोभ : कहा जाता है कि लालच बुरी बला है. ये बात सिर्फ छात्र जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि हर एक के जीवन पर लागू होती है. लालच करने वाला शख्स कभी खुद मेहनत से कुछ नहीं पा सकता. वो हमेशा चाल फरेबी करके दूसरों की चीजों को पाने की लालसा रखता है. इसलिए लालच कभी भी नहीं करना चाहिए.
नींद : अच्छी शिक्षा के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है. विद्यार्थी जीवन में किसी भी छात्र की नींद 6-7 घंटे की होनी चाहिए. ज्यादा नींद उसकी शिक्षा में विघ्न डालती है.