Vastu Shastra वास्तु शास्त्र: वास्तु में उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। घर की यह दिशा बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस दिशा में निर्माण का सीधा संबंध आरोग्यता, सुख संपत्ति और धन से है। इस स्थान को बहुत पवित्र माना जाता है, इसलिए इस दिशा में अशुद्ध चीजों का वास नहीं होना चाहिए। इससे negative परिणाम तो मिलेंगे ही साथ ही घर में बीमारी रहेगी। उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को वास्तु में ईशान कोण कहा गया है। जिसमें ईश्वर का निवास स्थान होता है।इसलिए इस दिशा में मंदिर या पूजा का स्थान होना चाहिए। पहला सुख निरोगी काया। यदि सेहत ही ठीक नहीं है तो सब व्यर्थ है। यदि आपके घर में बीमारी है। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हो तो घर का ईशान कोण देखें।
यदि ईशान कोण में शौचालय हो तो उसको हटा देना चाहिए। क्योंकि यह बीमारी का बहुत बड़ा कारण होता है तथा किसी भी बड़े रोग का जन्मदाता हो सकता है।
यदि एकदम से न हटा सकें तो शौचालय में एक कांच के कटोरे में समुद्री नमक, कपूर एवं फिटकारी मिलाकर रखें। ईशान कोण में रसोई होना भी बीमारी का एक कारण बनता है।यदि संभव नहीं है तो गैस के नीचे हरे रंग का टाइल अथवा पत्थर रख दें।