एक शिवलिंग जो खंडित होते हुए भी पूजनीय हैं

Update: 2023-06-26 13:57 GMT
शास्त्रों और पुराणों में यह माना जाता है कि देवता की खंडित मूर्ति की पूजा करना वर्जित हैं। लेकिन एक शिवलिंग ऐसा है जो खंडित होते हुए भी पूजनीय हैं। पिछले 150 सालों से इस खण्डित शिवलिंग की पूजा की जा रही हैं। इसका जीता जागता उदाहरण आपको झारखंड के गोइलकेरा में स्थित महादेवशाल धाम मंदिर में देखने को मिल जाएगा। माना जाता है कि शिवलिंग के खण्डित होने के पीछे एक अनोखी कथा हैं।
लगभग 19वी शताब्दी के मध्य जब इस क्षेत्र मेंं रेल लाइन बिछाने का कार्य चल रहा था। तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग निकला। शिवलिंग निकलने पर मजदूरों ने खुदाई करना बंद कर दिया। लेकिन वहां मौजूद ब्रिटिश इंजीनियर ‘रॉबर्ट हेनरी’ ने शिवलिंग को मात्र एक पत्थर बताते हुए शिवलिंग पर प्रहार किया। प्रहार की वजह से शिवलिंग दो टुकड़ों में विभक्त हो गया। लेकिन शाम को घर वापस लौटते समय इंजीनियर की रास्ते में ही मौत हो गई।
इस घटना के बाद मजदूरों और ग्रामीणों ने रेलवे लाइन की खुराई दूसरी तरफ से करने की मांग की। पहले तो अंग्रेज अधिकारी नहीं माने। लेकिन बाद में आस्था की आगे झुककर रेलवे लाइन की दिशा को बदल दिया।
जहां खुदाई में शिवलिंग निकला था आज वहां देवशाल मंदिर है तथा शिवलिंग के खंडित शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। जबकि शिवलिंग का दूसरा टुकड़ा वहां से दो किलोमीटर दूर रतनबुर पहाड़ी पर ग्राम देवी ‘माँ पाउडी’ के साथ स्थापित है जहां नियमित रूप से पूजा होती हैं।
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