02 अप्रैल चैत्र नवरात्रि: वास्तु के नियमों को ध्यान में रखते हुए करें माँ दुर्गा की उपासना

देवी दुर्गा और मां शक्ति की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि जल्द ही शुरू होने वाला है।

Update: 2022-03-24 03:04 GMT

02 अप्रैल चैत्र नवरात्रि: वास्तु के नियमों को ध्यान में रखते हुए करें माँ दुर्गा की उपासना

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देवी दुर्गा और मां शक्ति की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि जल्द ही शुरू होने वाला है। इस बार चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से आरंभ हो रहे हैं जो 11 अप्रैल को समाप्त होंगे। मां दुर्गा के भक्तों को नवरात्रि के पर्व का इंतजार बहुत ही बेसब्री से रहता है। जिसमें 09 दिनों तक विधिवत रूप से मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है। पूरे 9 दिनों तक उपवास रखते हुए मां की साधना की जाती है। भक्त नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना करते हुए सादगी से व्रत के नियमों का पालन करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक विशेष रूप से अगर वास्तु के नियमों को ध्यान रखते हुए मां की आराधना की जाए तो पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और भक्तों के ऊपर मां का आशीर्वाद बना रहता है।

कैसा रखें पूजन कक्ष
नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर पधारती हैं ऐसे में देवी की उपासना स्थल बहुत ही साफ और सुथरा होना चाहिए। पूजन कक्ष की दीवारें हल्के पीले, गुलाबी , हरे और बैंगनी रंगों की होनी चाहिए। क्योंकि ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं। भूलकर भी मां दुर्गा के पूजास्थल का रंग काले, नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का नहीं होना चाहिए।
कलश स्थापना की सही जगह
वास्तु के अनुसार मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा का दिशा क्षेत्र ईशान कोण यानि कि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस दिशा में पूजा करने से शुभ प्रभाव मिलता है और हमेशा ईश्वर का आशीर्वाद मिलता रहता है। इसलिए नवरात्रि के दिनों में माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए।
इस दिशा में मुख रखते हुए करें देवी उपासना
देवी मां का क्षेत्र दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है एवं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से आराधक को मानसिक शांति अनुभव होती है।
दीपक की दिशा
नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योति जलाने की विशेष परंपरा होती है। अखंड दीप को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है।आग्नेय कोण में अखंड ज्योति या दीपक रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है।
पूजन सामग्री का महत्व
देवी दुर्गा के पूजन में प्रयोग होने वाली पूजा सामग्री पूजन स्थल के आग्नेय कोण में ही रखी जानी चाहिए। देवी मां को लाल रंग अत्याधिक प्रिय है। लाल रंग को वास्तु में भी शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है अतः माता को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र,श्रृंगार की वस्तुएं एवं पुष्प यथा संभव लाल रंग के ही होने चाहिए। पूजा कक्ष के दरवाज़े पर हल्दी,सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं।
प्रसन्न होंगी देवी मां
वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख ध्वनि व घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और आस-पास का वातावरण शुद्ध और पवित्र होकर मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अनेक वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट हुआ है कि जिस स्थान पर शंख ध्वनि होती है वहां सभी प्रकार के कीटाणु नष्ट हो जाते है।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के दिनों में 10 वर्ष की छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर आदर-सत्कार करने और नियमित भोजन कराने से घर का वास्तुदोष दूर होता है। परिवार पर सदैव मां भगवती की कृपा बनी रहती है।
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