इस दिन है नाग पंचमी का त्योहार, जाने पूजा विधि और महत्व

हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में प्रकृति तत्वों जैसे पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का विशेष स्थान है। हमारे कई व्रत और त्योहार विशेष रूप से इन्ही प्राकृतिक तत्वों पर आधारित हैं।

Update: 2021-08-10 03:13 GMT

हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में प्रकृति तत्वों जैसे पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का विशेष स्थान है। हमारे कई व्रत और त्योहार विशेष रूप से इन्ही प्राकृतिक तत्वों पर आधारित हैं। इन्ही त्योहारों में से एक त्योहार है नाग पंचमी। इस त्योहार पर विशेष रूप से नागों और सर्पों की पूजा करने का विधान है। नाग पंचमी का त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। नाग देवता भगवान शिव के भी प्रिय हैं इसलिए इस दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं नाग पंचमी की तिथि, मुहूर्त और पूजा की विधि...

नाग पंचमी की तिथि और मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार सावन मास की पंचमी तिथि को मानाया जाता है। इस साल पंचमी की तिथि 12 अगस्त शाम 03.24 बजे से शुरू होकर 13 अगस्त को 1 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। आचार्यों के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त को मानाया जाएगा। पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

नाग पंचमी की पूजन विधि

नाग पंचमी के दिन प्रातःकाल नहा कर, सबसे पहले घर के दरवाजे पर मिट्टी, गोबर या गेरू से नाग देवता का चित्र अंकित करना चाहिए। फिर नाग देवता दूर्वा,कुशा,फूल,अछत,जल और दूध चढ़ाना चाहिए। नाग देवता को सेवईं या खीर का भोग लगाया जाता है। सांप की बांबी के पास दूध या खीर रख देना चाहिए। नाग पंचमी पर नागों को दूध से नहलाने का विधान है न कि उन्हें दूध पिलाने का। दूध पीना वैज्ञानिक रूप से सांपों के लिए नुकसान दायक होता है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। इस दिन नाग देवता का दर्शन करना शुभ माना जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों के संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन अष्टनागों के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।

ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥

एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥



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