आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना में मरीजों का कैशलेस इलाज करना लगभग बंद

जयपुर: प्रदेश में निजी अस्पताल संचालकों ने आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना में मरीजों का कैशलेस इलाज करना लगभग बंद कर दिया है। राजधानी जयपुर में दोनों योजनाओं में मरीज इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों में योजनाओं का लाभ मिल रहा है, लेकिन वहां बढ़ती वेटिंग से मरीज सरकारी …

Update: 2023-12-26 01:25 GMT

जयपुर: प्रदेश में निजी अस्पताल संचालकों ने आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना में मरीजों का कैशलेस इलाज करना लगभग बंद कर दिया है। राजधानी जयपुर में दोनों योजनाओं में मरीज इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों में योजनाओं का लाभ मिल रहा है, लेकिन वहां बढ़ती वेटिंग से मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने से बच रहे हैं।
प्रदेश में आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना में कैशलेस इलाज करने के लिए करीब 1200 निजी अस्पतालों में एमओयू कर रखा है। राजधानी में आरजीएचएस में सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स के इलाज के लिए 250-300 और चिरंजीवी योजना में 600-700 निजी अस्पताल जुड़े हुए हैं। प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने के साथ अक्टूबर से ही मरीजों को दोनों योजनाओं में इलाज लेने में बाधा हो रही है।

चिरंजीवी योजना से जुड़े जयपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल ने सरकार बदलते ही इलाज लगभग पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके पीछे प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी का कहना है कि इलाज बंद होने के पीछे तीन कारण है। पहला निजी अस्पतालों का 400 करोड़ का पेमेंट अटका हुआ है। दूसरा प्रदेश में सरकार बदलते ही प्राइवेट अस्पताल संचालकों में दोनों योजनाएं आगे चालू रहेंगी या नहीं इसे लेकर संशय है। तीसरा पेमेंट रिलीज करवाने में नीचे से ऊपर तक सिस्टम खराब है।

वहीं अधिकारियों का दावा है कि औसतन रोज 1200 के टीआईडी जनरेट हो रही है। बकाया पेमेंट का ट्रांजेक्शन शुरू हो गया है जनवरी तक कंपलीट पेमेंट हो जाएगा।

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