लोहड़ी के त्योहार पर पतंगबाज़ी की तैयारी ज़ोरों पर
अमृतसर: लोहड़ी पर्व पर पतंगबाजी को लेकर पंजाबियों में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है। इसके लिए खासतौर पर अमृतसर के युवाओं ने पतंग उड़ाने के लिए अपनी कमर कस ली है। आज कड़ाके की ठंड के बावजूद युवा अपने परिवार के साथ अपने घरों की छतों पर पतंग उड़ाने का आनंद लेंगे और …
अमृतसर: लोहड़ी पर्व पर पतंगबाजी को लेकर पंजाबियों में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है। इसके लिए खासतौर पर अमृतसर के युवाओं ने पतंग उड़ाने के लिए अपनी कमर कस ली है। आज कड़ाके की ठंड के बावजूद युवा अपने परिवार के साथ अपने घरों की छतों पर पतंग उड़ाने का आनंद लेंगे और एक-दूसरे की पतंगें काटेंगे। बता दें कि जिस तरह से दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लोग पतंग उड़ाते हैं, उसी तरह गुरु की नगरी में खासतौर पर लोहड़ी के त्योहार पर पतंगें उड़ाई जाती हैं और यह चलन काफी समय से चला आ रहा है। उधर, गुरु नगरी में भी लोहड़ी पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिख रहा है।
लोहड़ी आमतौर पर हर साल 13 जनवरी को होती है। लोहड़ी सर्दियों के अंत का प्रतीक है और अच्छी फसल के लिए खुशी और धन्यवाद का त्योहार है, जबकि लोहड़ी जम्मू और कश्मीर में मकर संक्रांति पर मनाई जाती है। दूसरी ओर, लोहड़ी का त्योहार बसंत के आगमन, कड़ाके की ठंड से बचने और एकजुटता का प्रतीक है। पहले जब घर में कोई लड़का होता था या फिर लड़के की शादी होती थी तो लोग इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाते थे। लोहड़ी शब्द में 'ल' का अर्थ है लकड़ी, 'ह' का अर्थ है गोबर की पाथियां और 'ड़ी' का अर्थ है रेवड़ियां। इसलिए इस त्यौहार को लोहड़ी कहा जाता है। गौरतलब है कि लोहड़ी के बाद मौसम बदलना शुरू हो जाता है और ठंड का असर धीरे-धीरे कम होने लगता है। इस ठंडी रात को परिवार, रिश्तेदारों और पड़ोसियों तथा अन्य सज्जन-मित्रों के साथ मनाया जाता है। पिछले कुछ दिनों से कड़ाके की ठंड ने हर किसी के जीवन पर असर डाला है, लेकिन लोहड़ी के त्योहार से एक दिन पहले कड़ाके की ठंड के बीच बाजार लोगों से पूरी तरह भरे हुए हैं। दोपहर एक बजे से बाजार भी दुल्हन की तरह सज गए। लोग मूंगफली, गच्चक, रेवड़ी, गुड़ आदि खरीदते नजर आए। इसके अलावा नवविवाहित जोड़े भी खूब शॉपिंग करते नजर आए।