मई में वेज थाली हुई महंगी, नॉन-वेज सस्ती: रिपोर्ट

Update: 2024-06-06 10:53 GMT
चेन्नई: इस साल अप्रैल की तुलना में मई में घर पर तैयार वेज थाली की लागत एक प्रतिशत बढ़ गई जबकि नॉन-वेज थाली की लागत में इतनी ही गिरावट आई है। बाजार अध्ययन एवं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की गुरुवार को जारी "रोटी राइस रेट" रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
एजेंसी ने बताया कि साल दर साल आधार पर यानि पिछले साल मई से तुलना करने पर, वेज थाली की लागत नौ प्रतिशत बढ़ गई है जबकि नॉन-वेज थाली की कीमत सात प्रतिशत कम हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल मई में घर पर बनी वेज थाली की लागत 27.8 रुपये (अप्रैल में 27.4 रुपये) थी जबकि नॉन-वेज थाली की लागत 55.9 रुपये (अप्रैल में 56.3 रुपये) थी।
लागत की गणना करने के लिए क्रिसिल ने वेज थाली में रोटी, आलू-प्याज-टमाटर की सब्जी, चावल, दाल, दही और सलाद को शामिल किया। नॉन-वेज थाली में दाल की जगह चिकन को शामिल किया गया। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने बताया कि अप्रैल की तुलना में मई में वेज थाली की लागत में मामूली बढ़ोतरी का प्रमुख कारण आलू के दाम में नौ प्रतिशत की वृद्धि रही। हालांकि दूसरी चीजों के दाम कमोबेश स्थिर रहे।
क्रिसिल ने कहा, "नॉन-वेज थाली की लागत में कमी आई है क्योंकि इसमें 50 प्रतिशत कीमत के लिए जिम्मेदार चिकन के दाम दो प्रतिशत घट गये।" पिछले साल मई में घर पर बनी वेज थाली की कीमत 25.5 रुपये और नॉन-वेज थाली की 59.9 रुपये थी। वेज थाली की लागत बढ़ने के पीछे मुख्य वजह एक साल पहले की तुलना में टमाटर, आलू और प्याज के दाम में एक साल पहले के मुकाबले क्रमशः 39 प्रतिशत, 41 प्रतिशत और 43 प्रतिशत की वृद्धि है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "रबी की बुवाई में कमी के कारण प्याज की आवक कम रहने और कटाई से पहले आलू की फसल में कीड़े लगने तथा पश्चिम बंगाल में फसल को हुए नुकसान से आलू की आपूर्ति कम होने से कीमतों में वृद्धि हुई है।
वेज थाली की लागत में 13 प्रतिशत का योगदान देने वाले चावल की कीमत में एक साल में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्पादन कम रहने से वेज थाली में नौ प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली दाल की कीमत साल-दर-साल 21 प्रतिशत बढ़ गई।
वहीं, जीरा, मिर्च और वनस्पति तेल के दाम एक साल पहले के मुकाबले क्रमशः 37 प्रतिशत, 25 प्रतिशत और आठ प्रतिशत घट गये जिससे वेज थाली की लागत और नहीं बढ़ी। वहीं, चिकन के दाम में मई 2023 के मुकाबले 16 प्रतिशत की गिरावट के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में कमी आई है।
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