वाराणसी: वक्फ बोर्ड ने उदय प्रताप कॉलेज (यूपी कॉलेज) की संपत्ति पर अपना दावा ठोका है जिस पर अब कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. सिंह ने बुधवार को आईएएनएस से खास बातचीत की।
डॉ. सिंह ने कहा, “यह मामला उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा 6 दिसंबर 2018 को जारी एक नोटिस से संबंधित है, जिसमें दावा किया गया था कि नवाब टोला मस्जिद के पास स्थित संपत्ति, जिस पर उदय प्रताप कॉलेज है, वक्फ बोर्ड की है। इस नोटिस का जवाब प्रताप शिक्षा समिति के सचिव ने 21 दिसंबर 2018 को भेजा था। जवाब में यह बताया गया था कि यूपी कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई थी और कॉलेज की जमीन चैरिटेबल एंडोमेंट ट्रस्ट के तहत आती है। ट्रस्ट की जमीन पर किसी अन्य का मालिकाना हक समाप्त हो जाता है, इसलिये वक्फ बोर्ड का दावा गलत है। इसके अलावा, सचिव ने यह भी बताया कि कॉलेज परिसर में कुछ अवांछनीय व्यक्तियों ने भ्रामक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक परिवेश में विकृति उत्पन्न करना था।”
उन्होंने कहा, “नोटिस के जवाब के बाद कोई प्रतिक्रिया वक्फ बोर्ड से नहीं आई। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 6 दिसंबर 2018 को नोटिस भेजा था और प्रताप शिक्षा समिति ने उसी महीने की 21 तारीख को इसका जवाब दिया था। मैंने व्यक्तिगत रूप से 1 नवंबर 2001 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद इस मामले का संज्ञान लिया था। कार्यभार संभालने के बाद, हमारे छात्रों ने सूचित किया कि कुछ लोग मस्जिद में निर्माण कार्य कर रहे थे। वे लोग निर्माण करने के लिए रात के समय जबरदस्ती बालू और सीमेंट लेकर आ रहे थे, हालांकि सुरक्षा कर्मचारी ने इसका विरोध किया था।”
प्रिंसिपल ने कहा, “इस पर मैंने तत्काल पुलिस प्रशासन को सूचित किया और थाना अध्यक्ष शिव पूर्व वाराणसी को इसके बारे में अवगत कराया। इसके बाद पुलिस के सहयोग से निर्माण सामग्री को मस्जिद से बाहर निकाल लिया गया। कुछ दिनों बाद एक और सूचना मिली कि मस्जिद में हमारे कॉलेज की बिजली की लाइन से बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा था। इससे बिजली का बिल कॉलेज के कनेक्शन से जा रहा था, जबकि वह कनेक्शन मस्जिद में इस्तेमाल किया जा रहा था। इस सूचना के आधार पर हमने संज्ञान लिया और लगभग एक वर्ष पहले मस्जिद का बिजली कनेक्शन कटवा दिया।”
उन्होंने बताया कि जब यह कार्रवाई की गई, तो संबंधित व्यक्तियों को सूचित किया गया कि अगर उनके पास कोई वैध दस्तावेज हैं तो वे अपना बिजली कनेक्शन अपने नाम पर ले सकते हैं। हालांकि, अब तक मस्जिद या मजार के पास कोई वैध दस्तावेज या बिजली कनेक्शन नहीं है, और इस मामले को लेकर किसी भी प्रकार का नया दस्तावेज या आवेदन नहीं आया है।”