लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष आमंत्रित अतिथि होंगी मुरैना की दो 'ड्रोन दीदियां'
ग्वालियर: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की दो 'ड्रोन दीदियों' को 15 अगस्त को लाल किले पर होने वाले स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में शामिल होने के न्योता मिला है।
इससे उत्साहित स्व-सहायता समूह की दोनों 'ड्रोन दीदियां' प्रधानमंत्री समूह संवाद में अवसर मिलने पर आजीविका मिशन को और अधिक सशक्त बनाने पर चर्चा करेंगी। जिले के लिये यह गौरव का विषय है कि सामान्य घरेलू ग्रामीण महिला से 'ड्रोन दीदी' बनने का विकल्प चुनने वाली दोनों महिलाएं लाल किले पर राष्ट्रीय आयोजन मे शामिल होंगी। दोनों ने ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया और अब किसानों के लिए कम लागत वाली तरल खाद का खेतों में छिडक़ाव कर प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं।
कभी आर्थिक तंगी के कारण परिवार चलाने के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं का जीवन स्तर आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद बदल गया है। मिशन के स्व-सहायता समूह से जुडक़र गांव में सिलाई का काम करने वाली दोनों महिलाओं का जोश और जुनून इसी बात से साफ है कि ड्रोन उड़ाने के प्रशिक्षण के लिये वे फूलपुर, प्रयागराज और एमआईटीएस ग्वालियर तक पहुंच गईं।सरकार द्वारा दिये गये लगभग 15 लाख रुपये के ड्रोन से वे अपना रोजगार चला रही हैं और किसानों की खाद की लागत कम करने में मददगार बन रही हैं। दोनों महिलाओं ने अब तक कई एकड़ भूमि में ड्रोन से नेनो यूरिया का छिडक़ाव किया है। अब क्षेत्र में इन महिलाओं की पहचान 'ड्रोन दीदी' के रूप में होती है।
मुरैना जिले के जौरा तहसील के अंतर्गत पचोखरा में कैलादेवी स्व-सहायता समूह की सुनीता शर्मा ने अपने घर से रोजगार बढ़ाने के लिये सिलाई से सफर शुरू किया और धीरे-धीरे से उसे ड्रोन चलाने तक की ट्रेनिंग मिली। पहले 25 हजार रुपये का ऋण लेकर सिलाई का काम शुरू किया था। महीने में आठ से दस हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती थी। समूह गतिविधियों में सक्रिय होने के कारण नमो ड्रोन योजना का प्रशिक्षण लेने के बाद अब तक 60 एकड़ से ज्यादा खेत में ड्रोन से मेडिसिन छिडक़ाव कर चुकीं हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देती हैं।
जिले की मुरैना जनपद पंचायत क्षेत्रान्तर्गत डोंगरपुर लोधा गांव की खुशबू लोधी अपने परिवार को खुशहाल बनाने के लिये आजीविका मिशन से जुड़ी थीं। स्व-सहायता समूह सदस्य बनने के बाद वह 'ड्रोन दीदी' तक का सफर तय करने में सफल हुईं। वह 15 अगस्त को दिल्ली में प्रधानमंत्री समूह संवाद के लिये आमंत्रित किये जाने को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मान रही हैं।
ड्रोन संचालन के लिये ग्वालियर की एमआईटीएस कॉलेज में प्रशिक्षण लिया। अब तक 85 एकड़ से अधिक भूमि पर दवा, खाद का छिडक़ाव कर अपनी आजीविका को सुदृढ़ बनाने वाली ड्रोन दीदी आय वृद्धि के लिये समूह की गतिविधियों में आगे आकर शामिल हो रहीं हैं। वह प्रधानमंत्री से लेकर जिले के मिशन संचालक तक का आभार व्यक्त कर रही हैं। समूह संवाद में प्रधानमंत्री से संभावित मुलाकात को लेकर वह अत्यधिक खुश हैं।