पश्चिम बंगाल में टीएमसी और भाजपा अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के प्रयास में : सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात

Update: 2024-08-29 03:02 GMT
कोलकाता: पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) नेता वृंदा करात ने बुधवार को आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि टीएमसी और भाजपा अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के प्रयास में लगे हैं।
सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने कहा कि, आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर मंगलवार को बड़ा आंदोलन चल रहा था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी के लोगों ने कथित छात्र समाज के नाम पर अपनी राजनीति को चमकाने का काम किया।
वृंदा करात ने आगे कहा, ऐसे किसी छात्र समाज का मंच आज तक किसी भी आंदोलन में शामिल नहीं था। इसमें जानबूझकर हिंसात्मक कार्रवाई की गई। इसके बाद टीएमसी पुलिस ने आदतन लाठी, गोली और टियर गैस के गोले छोड़े। आंदोलन का पूरा मकसद ये होना चाहिए था कि कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर जो घिनौनी बर्बरता का शिकार हुई उसको न्याय कैसे मिले? लेकिन भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ अपना-अपना एजेंडा सामने रखने का प्रयास किया।
वृंदा ने आगे कहा कि भाजपा अपने आप को पीड़ित बनाने की कोशिश कर रही है। जिससे आंदोलन का रुख ऐसा हुए जिससे साफ पता चलने लगा कि छात्रा को न्याय मिलने के बजाय उनका राजनीतिक एजेंडा पूरा हो सके। इसलिए उनकी तरफ से बंगाल बंद आह्वान किया जा रहा है।
उन्होंने टीएमसी सरकार पर आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इससे पहले टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि 14 अगस्त को केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। उससे पहले चार दिन तक ये कोलकाता पुलिस के पास था। सीबीआई बताए कि अभी तक दोषियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
सीपीआई (एम) नेता ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में गृह मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री टीएमसी के हैं और उन्होंने संदीप घोष को बचाने का काम किया। ऐसे में अभिषेक बनर्जी समेत जितने भी टीएमसी के नेता हैं, उनका एक ही मकसद है कि हम खुद को कैसे बचाएं।
बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलात्कारियों को मौत की सजा सुनिश्चित करने के लिए विधेयक लाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि “उनकी सरकार बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पारित करेगी। यह विधेयक 10 दिनों के भीतर पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश किया जाएगा। हम इसे राज्यपाल के पास भेजेंगे और अगर वह विधेयक पारित नहीं करते हैं तो हम राजभवन के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।”
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