बलात्कार और दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति सहिष्णुता शून्य होगी: टीएमसी
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को 'अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक' सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस कानून के तहत बलात्कार और हत्या के मामलों में या बलात्कार के ऐसे मामलों में जहां पीड़िता को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है, आरोपी को मौत की सजा का प्रावधान है।
इसे लेकर अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया 'एक्स' पर एक पोस्ट किया और लिखा, "अब सामूहिक रुख अपनाने का समय आ गया है! अपराजिता बलात्कार विरोधी विधेयक हमारे रुख को और मजबूत करता है। बलात्कार और दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति सहिष्णुता शून्य होगी। बंगाल महिलाओं की सुरक्षा के लिए खड़ा है!"
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधेयक पर सदन में चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि प्रधानमंत्री वह काम नहीं कर सके जो उनकी सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि चूंकि प्रधानमंत्री महिलाओं की सुरक्षा में कोई पहल नहीं कर सके, इसलिए उन्हें और केंद्रीय गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।
देशभर में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के खिलाफ जारी विरोध के बीच ममता सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर यह विधेयक पेश किया और पारित कराया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सीबीआई से पीड़िता के लिए न्याय चाहती हैं, जो फिलहाल इस मामले की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि गवर्नर को विधेयक को जल्दी मंजूरी देनी चाहिए ताकि यह राष्ट्रपति के पास भेजा जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा, “उसके बाद इसे लागू करना और प्रभावी बनाना हमारी जिम्मेदारी होगी। इसलिए मैं विपक्ष के नेताओं से अनुरोध कर रही हूं कि गवर्नर को विधेयक को शीघ्र मंजूरी देने के लिए कहें।”
इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी क्योंकि इसमें केंद्रीय कानूनों में कुछ प्रावधानों को संशोधित करने का प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री ने भाजपा विधायकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे भाजपा-शासित राज्यों में बलात्कार और हत्या के मामलों पर चुप क्यों हैं। उन्होंने कहा, “जब आप पश्चिम बंगाल में एक घटना पर बोलते हैं, तो क्या आप उस घटना के बारे में नहीं बोलेंगे जो उन्नाव में हुई? यह शर्म की बात है कि आरोपी विधायक को फूलों की माला पहनाई गई।”