नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई है कि सिगरेट पीने से गले के माइक्रोबायोटा में परिवर्तन हो सकता है। इसके साथ ही इससे वायरल इन्फेक्शन इन्फ्लूएंजा और खतरनाक रूप ले सकता है। धूम्रपान को लंबे समय से सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता रहा है। यह सेहत को नुकसान पहुंंचाने के साथ क्रोनिक पल्मोनरी डिजीज का कारण बनता है और इन्फ्लूएंजा के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों का कारण बनता है।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने सिगरेट के धुएं और ऑरोफरीन्जियल माइक्रोबायोटा की संरचना में आए विकार के बीच के संबंधों का अध्ययन किया। हालांकि इनके बीच का संबंध स्पष्ट नहीं हो पाया। तालू, गले का पिछला और अगला भाग, टॉन्सिल और जीभ का पिछला हिस्सा ऑरोफरीनक्स बनाते हैं।
इन संबंधों का पता लगाने के लिए स्विटजरलैंड स्थित बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चूहों पर अध्ययन किया। उन्होंने अपने शोध में पाया कि सिगरेट के लगातार संपर्क में आने से चूहों की आंत और ऑरोफरीन्जियल माइक्रोबायोटा में बदलाव आ रहा था। विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर मार्कस हिल्टी ने कहा कि अकेले धूम्रपान से ही सांस संबंधी दिक्कतें नहीं होती हैं।
हिल्टी ने कहा, "धूम्रपान करने वाले का माइक्रोबायोटा श्वसन रोग और/या संक्रमण को भी प्रभावित कर सकता है। '' अध्ययन में टीम ने चूहों को सिगरेट के धुंए के संपर्क में रखा और फिर उन्हें स्मोक एक्सपोज्ड (संपर्क में आने वाले) चूहों (नियंत्रण) और रोगाणु मुक्त चूहों के साथ रखा गया। अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की पत्रिका एमसिस्टम्स में इसका परिणाम प्रकाशित हुआ। जिसमें पता चला कि जर्म फ्री चूहों पर भी धुंए का असर पड़ता है। इन चूहों को धुंए से निकले बैक्टिरिया के संपर्क में लाया गया।
टीम फिर इन चूहों को इन्फ्लूएंजा ए वायरस के संपर्क में लेकर आई और इन चूहों पर पैनी नजर बनाए रखी। शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी भी संक्रमण से मुक्त चूहे जिनमें धूम्रपान के संपर्क में आए चूहों के साथ रखा गया उनमें गंभीर लक्षण देखे गए। ये उनके घटे वजन से पता चला। इसके अलावा, वायरस संक्रमण ऑरोफरीन्जियल माइक्रोबायोटा संरचना में पर्याप्त परिवर्तनों से जुड़ा था। संक्रमण के बाद 4 से लेकर 8 दिनों के दौरान परिवर्तन विशेष रूप से दिखाई दिए।
हिल्टी ने चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे सिगरेट के कारण माइक्रोबायोटा में होने वाले विकार को वायरल संक्रमण के दौरान संभवतः एक महत्वपूर्ण कारक मानें।