समय से पहले होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है: शोध

Update: 2024-10-15 10:49 GMT
नई दिल्ली: द लैंसेट कमीशन की ओर किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि बाल टीकाकरण और कम लागत वाली रोकथाम और उपचार के साथ-साथ नई स्वास्थ्य तकनीकों से समय से पहले होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
रिपोर्ट में प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है, जिससे 2050 तक अपने देश के लोगों की समय से पहले मृत्यु की संभावना को आधा किया जा सके।
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि "50 बाय 50" का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। यदि हर देश इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो 2050 में पैदा होने वाले व्यक्ति के 70 वर्ष की आयु से पहले मरने की संभावना केवल 15 प्रतिशत होगी, जबकि 2019 में पैदा होने वाले व्यक्ति के लिए यह संभावना 31 प्रतिशत है।
इसमें बाल टीकाकरण और कम लागत वाली रोकथाम और उपचार के साथ-साथ नए स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए वित्तपोषण बढ़ाने जैसे उपाय सुझाए गए हैं।
1970 के बाद से लगभग 37 देशों ने अपने नागरिकों की 70 वर्ष की आयु से पहले मृत्यु की संभावना को आधे से भी कम कर दिया है, जो इस बात का संकेत है कि अनेक देशों ने रोगों की रोकथाम और उपचार में उल्लेखनीय प्रगति की है।
ड्यूक यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर पॉलिसी इम्पैक्ट इन ग्लोबल हेल्थ के निदेशक गेविन यामी ने कहा, "आज मृत्यु दर में कमी की स्थिति पहले से कहीं बेहतर है।''
यामी ने कहा, '' यह एक ऐसी चीज है जिसे आसानी से हाासिल नहीं किया सकता। इससे असाधारण स्वास्थ्य, कल्याण और आर्थिक लाभ होंगे। इसमें मृत्यु दर में कमी आने के साथ अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ने में मदद मिलेगी और गरीबी कम होगी।''
रिपोर्ट में देशों से उन 15 स्वास्थ्य स्थितियों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है जो सबसे अधिक समय से पहले मृत्यु का कारण बनती हैं जिनमें ट्यूबरक्लोसिस और श्वसन संक्रमण, शुगर,हृदय रोग और दुर्घटनाओं के साथ आत्महत्या जैसे अन्य मुद्दे शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि आवश्यक दवाओं, निदान, टीकों की लागत में सब्सिडी देकर इन स्थितियों को संबोधित करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
रिपोर्ट में तम्बाकू उत्पादों, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों तथा जीवाश्म ईंधनों पर कर बढ़ाने की भी मांग की गई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे इन उत्पादों के कारण होने वाली बीमारियों और मृत्यु में कमी आएगी और राजस्व में वृद्धि होगी जिसे स्वास्थ्य प्रणालियों में फिर से निवेश किया जा सकता है।
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