नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में योगदान देने वाले सदस्यों की संख्या वित्त वर्ष 2023-24 में 7.6 प्रतिशत बढ़कर 7.37 करोड़ हो गई है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 6.85 करोड़ थी। साथ ही इस दौरान योगदान करने वाली संस्थाओं की संख्या 6.6 प्रतिशत बढ़कर 7.66 लाख हो गई है। यह जानकारी श्रम मंत्रालय द्वारा रविवार को दी गई।
यह दिखाता है कि भारत में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार और व्यापारों की संख्या बढ़ रही है, जो कर्मचारियों को बेहतर जीवन स्तर मुहैया कराती है।
ईपीएफओ की बकाया राशि की वसूली में भी 55.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष के 3,390 करोड़ रुपये की तुलना में 5,268 करोड़ रुपये हो गई।
पिछले वर्ष की तुलना में निपटाए गए दावों की संख्या में भी 7.8 प्रतिशत बढ़कर 4.12 करोड़ से बढ़कर 4.45 करोड़ हो गई है।
ये आंकड़े ईपीएफओ के कामकाज पर वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं, जिस पर शुक्रवार को सचिव (श्रम एवं रोजगार) सुमिता डावरा की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति की बैठक में विचार किया गया।
बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। कार्यकारी समिति ने नई अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य ईपीएफओ के कई कर्मचारियों के आश्रितों और बच्चों को राहत पहुंचाना है, जिनकी दुर्भाग्यवश सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी, जिनमें से कई की मृत्यु कोविड महामारी के दौरान हुई थी।
इसके अलावा बैठक में कार्यकारी समिति ने ईपीएफओ में बेहतर गवर्नेंस के लिए आईटी, प्रशासनिक, वित्तीय और अन्य संबंधित पहलुओं पर चर्चा की गई।
ईपीएस पेंशन भुगतान के लिए सरकार नई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली को लाने पर काम कर रही है।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा शुक्रवार को पेंशन सेवाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस)-1995 के तहत नई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली (सीपीपीएस) के पायलट रन के सफल होने का ऐलान किया था।