नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के 9 नेताओं की सुरक्षा में तैनात एनएसजी कमांडो को हटाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि इन सभी नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब सीआरपीएफ के जवान संभालेंगे। ऐसे में आपको बताते हैं कि एनएसजी कमांडो की स्थापना कब हुई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की स्थापना साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को ब्लैक कैट के रूप में भी जाना जाता है। इसकी स्थापना का उद्देश्य देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अधिनियम से जुड़ा एक विधेयक साल 1986 में संसद में पेश किया गया। संसद से इसे मंजूरी मिलने के बाद 22 सितंबर 1986 को राष्ट्रपति की ओर से इस कानून को अनुमति दे दी गई, जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया।
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के लिए सीधे भर्तियां नहीं होती हैं बल्कि इसके लिए उम्मीदवारों का चयन भारतीय सशस्त्र बलों से किया जाता है। इसमें भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना शामिल हैं।
एनएसजी कमांडो अपनी बहादुरी के साथ-साथ कठिन ट्रेनिंग के लिए भी जाने जाते हैं। ब्लैक कैट बनने से पहले उन्हें कई महीनों की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। इसके बाद वह एक एनएसजी कमांडो बन पाते हैं।
देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कुछ चुनिंदा नेता ऐसे हैं, जिनकी सुरक्षा का पूरा जिम्मा नेशनल नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के पास है। हालांकि, केंद्र सरकार ने 9 नेताओं की सुरक्षा में तैनात एनएसजी सुरक्षा को हटाने का फैसला किया है। इनमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का नाम शामिल है। इन सभी नेताओं की सुरक्षा का जिम्मा अब सीआरपीएफ की सुरक्षा विंग संभालेगी।