कावड़ यात्रा के दौरान मुस्लिम ढाबा संचालक पहचान स्पष्ट करें: राज्य मंत्री कपिल देव
मुजफ्फरनगर: उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक कावड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है। कांवरिया हरिद्वार से गंगाजल लेकर चलते हैं] तो वह सबसे पहले मुजफ्फरनगर जनपद में दाखिल होते हैं। उन्हें यहां लगभग 65 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
इसके मद्देनजर मुजफ्फरनगर में जिला प्रशासन की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है। शनिवार को राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने प्रशासन और कावड़ संचालकों के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
कावड़ संचालकों को यात्रा के दौरान में शिविर में फायर और इलेक्ट्रिकल सुरक्षा बरतने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि शिविर को इस तरह लगाया जाए, ताकि सड़कों पर कावड़ को न रखा जाए। जिससे जाम और दुर्घटना की स्थिति न उत्पन्न हो सके।
कपिल देव ने जिला प्रशासन को यात्रा मार्ग पर मुस्लिम होटल और ढाबों के बाहर स्पष्ट नाम लिखवाने के निर्देश दिए। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि, कावड़ मार्ग और पूरे हाईवे पर जो होटल और ढाबे हैं, उन्हें ज्यादातर मुस्लिम वर्ग के लोग संचालित करते हैं।
वो हिंदू देवी देवताओं के नाम और फोटो का प्रयोग करके इसका संचालन कर रहे हैं। इससे कावड़िया और सनातन धर्म को मानने वाले लोग वैष्णो ढाबा समझकर खाना खाते हैं।
यात्रा के दौरान कावड़ियों को मीट-मसाले से लेकर लहसुन और प्याज तक खाना परहेज होता है। ऐसे में उनकी भावनाएं आहत हो सकती हैं। इसलिए किसी झगड़े और विवाद से बचने के लिए सभी मुस्लिम ढाबा संचालक को अपना नाम बाहर लिखना चाहिए।
वहीं एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि, जिले में 8 प्रमुख कावड़ मार्ग हैंं, इसका सर्वे किया जा चुका है। इनको हमने 5 सुपर जोन, 16 जोन, 53 सब जोन और 83 सेक्टर में बांटा है। 220 किमी कावड़ मार्ग के हर दो किमी पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी।
सुरक्षा के लिहाज से करीब 1,800 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, इसकी संख्या 2,000 तक की जाएगी। उन्होंने यात्रा संचालकों से अपील किया किया कि ओवर साइज डीजे न बनाएं।